भोपाल : मध्य प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं है। किसानों को आसानी से खाद मिल रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कृषि मंत्री कमल पटेल से लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर तक बार-बार ऐसे दावे कर रहे हैं। दूसरी ओर, किसानों का कहना है कि उन्हें खाद नहीं मिल रही। खाद वितरण केंद्रों पर घंटों लाइन में लगने के बाद उन्हें निराश होना पड़ता है। दावों और आरोपों की सच्चाई जानने के लिए एनबीटी की टीम ने चार जिलों का दौरा किया। इसमें जो सच्चाई सामने आई, वह सरकार के दावों की पोल खोलने वाला है।
खाद की किल्लत की सच्चाई जानने के लिए एनबीटी के रिपोर्टर राज्य के चार जिलों में खाद बिक्री केंद्रों पर पहुंचे। जबलपुर, खंडवा, शिवपुरी और सागर- सभी जगहों से कमोबेश एक ही तस्वीर सामने निकलकर आई कि किसानों को खाद नहीं मिल रही। किसान परेशान हैं और सरकार अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रही है।
जबलपुर में खाद की किल्लत से किसान काफी परेशान हैं। जिला मुख्यालय के आसपास से काफी संख्या में किसान विपणन संघ के ऑफिस पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें यहां से निराश होकर लौटना पड़ रहा है। अधिकारी किसानों को शीघ्र खाद उपलब्ध कराने की बात कह रहे हैं। कृषि विस्तार अधिकारी देवेंद्र कुमार नेमा का कहना है कि रेल समस्या के कारण किसानों को खाद की समस्या हो रही है। एक-दो दिन में उन्हें खाद उपलब्ध करा दी जायेगी।
शिवपुरी में भी खाद वितरण केंद्रों पर किसानों की लंबी-लंबी लाइनें देखी जा रही हैं। शिवपुरी जिला प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा है कि खाद की कोई समस्या नहीं है। वहीं खाद वितरण केंद्रों पर डीएपी खाद और यूरिया के लिए मारामारी मची हुई है। किसानों को एक बोरी खाद के लिए लाइन में लगकर धक्का-मुक्की करनी पड़ रही है। किसानों का आरोप है कि उनके हिस्से का खाद निजी विक्रेताओं के यहां भेजा रहा है और उसे ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। कई किसानों ने बताया कि वे दो-तीन दिन से लगातार आ रहे हैं लेकिन खाद के कट्टे नहीं मिल रहे।
बुधवार को जिला प्रशासन के नए आदेश से किसान और भी परेशानी में आ गए। खाद वितरण केंद्रों पर जिला प्रशासन ने नए आदेश दिए हैं कि जिस किसान को खाद अथवा यूरिया चाहिए, उसे अपनी जमीन की किताब लेकर आना होगा। किताब लेकर आने पर ही उसे खाद के कट्टे दिए जाएंगे। कुछ दिनों पूर्व तक किसान के आधार कार्ड की फोटो स्टेट कॉपी के आधार पर ही उसे खाद का वितरण किया जा रहा था। नई व्यवस्था ने किसानों को परेशानी में डाल दिया है। बुधवार को कई किसान केवल आधार कार्ड की कॉपी लेकर आए थे और उन्हें खाद नहीं मिल सका। कई किसानों ने आक्रोश जताते हुए कहा कि प्रशासन ने बुधवार को मनमाने आदेश जारी कर दिए और उनकी खाद की समस्या हल नहीं हो रही है। वितरण केंद्रों पर उन्हें खाद नहीं मिल रही है। किसानों ने बताया कि इस समय गेहूं और सरसों की फसल के लिए उन्हें खाद की आवश्यकता है, लेकिन तमाम परेशानियों के बीच खाद नहीं मिल रहा है।
खंडवा के किसान भी खाद की किल्लत से काफी परेशान हैं। बड़ी संख्या में किसान विपणन संघ के ऑफिस पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें निराशा मिल रही है। यहां के किसानों का आरोप है कि पास के जिले हरदा में भरपूर खाद किसानों को मिल रहा है क्योंकि यह कृषि मंत्री कमल पटेल का गृह जिला है। उन्होंने कृषि मंत्री पर किसानों के साथ दोहरे व्यवहार का आरोप भी लगाया है। खंडवा के किसानों का कहना है कि वे सात-आठ दिनों से रोज आ रहे हैं, लेकिन खाद नहीं मिल रहा है। इसके उलट हरदा क्षेत्र में सभी किसानों को खाद मिल चुका है।
सागर जिले में खाद समस्या की सबसे अलग तस्वीर है। यहां जब रिपोर्टर खाद वितरण केंद्र पर पहुंचे तो वहां एक भी किसान मौजूद नहीं था। ये हालात इसलिए नहीं हैं कि किसानों को खाद मिल चुका है बल्कि इसलिए है कि यूरिया है ही नहीं। मकरोनिया स्थित खाद वितरण केंद्र पर इक्का दुक्का किसान मिले। उन्होंने बताया कि ग्रामीण स्तर पर खाद नहीं मिल रहा, इसलिए जिला मुख्यालय का रुख करना पड़ रहा है। कुछ दिन पहले तक सुबह से किसान वितरण केंद्रों पर किसानों की कतारें लग रही थीं। फिर भी देर रात तक किसानों को खाद नहीं मिल पा रही थ। अब खाद वितरण को दो दिन के लिए टाल दिया गया है। वहीं, कलेक्टर का कहना है कि किसानों को खाद आसानी से उपलब्ध हो, इसके लिए जिला वितरण केंद्रों पर सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। कालाबाजारी रोकने के लिए राजस्व विभाग के अधिकारी लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सभी निजी वितरण केंद्रों पर भी पटवारियों और तहसीलदारों की नियुक्ति कर मॉनिटरिंग की जा रही है।
जबलपुर से मंगलेश्वर गजभिये, खंडवा से सावन पाटिल, शिवपुरी से रंजीत गुप्ता और सागर से अमित प्रभु मिश्रा की रिपोर्ट
साभार : Navbharat Times News