भोपाल : contract health worker : देश में कोरोना के नए वैरिएंट की आहट के साथ ही मध्य प्रदेश की सरकार पूरी तरह से अलर्ट हो गई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने महामारी को लेकर समीक्षा बैठक के बाद जिला कलेक्टरों (district collectors) को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने भी एक दिन पहले राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया था. 2023 में विधानसभा चुनाव होना है. चुनावी साल को देखते हुए ही आंदोलनरत संविदा स्वास्थ्यकर्मचारियों को कांग्रेस ने अपना समर्थन दे दिया है.
सरकार के समक्ष एक बड़ा संकट : इस बीच प्रदेश सरकार के समक्ष एक बड़ा संकट उठ खड़ा हुआ है कि कोरोना महामारी में लगातार दो साल तक संकट मोचक की भूमिका में रहे प्रदेश के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी हड़ताल पर है. ऐसे में कोरोना महामारी बढ़ती है तो मध्य प्रदेश सरकार इस समस्या से किस तरह निपटेगी, यह बड़ी चुनौती है. इस बारे में प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा है कि कर्मचारियों से बातचीत के जरिए समस्या का सामघान निकालन का काम जारी है.
प्रदेश सरकार हमारी अनदेखी : मध्य प्रदेश में 32 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी नियमिति सहित अन्य मांगों लेकर हड़ताल पर है. संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल का आज शनिवार को दसवां दिन है. संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी जिद पर अड़े हैं. संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान अपनी जान व परिवार की चिंता किए गए बगैर भरपूर मेहनत की थी. मध्य प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य का खास ध्यान रखा था. लोग अपने घरों में कैद थे और हम लोग अपनी जान की परवाह किए गए बगैर फिल्ड व अस्पतालों में तैनात थे. इतना सब करने के बावजूद भी प्रदेश सरकार हमारी अनदेखी कर रही है.
अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर डटे संविदा स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि हमारी मांग जब तक पूरी नहीं होगी हम यहां से नहीं हटेंगे. आज हड़ताल का दसवां दिन है. मामा को भी यह चीज समझना चाहिए. कोरोना अगर आ रहा है तो हमारी जो नियमितिकरण की मांग है उसे पूरी क्यों नहीं कर रहें. मामा जी को अच्छे से पता है कि कोरोना संक्रमण काल में हमने कितनी मेहनत की थी. हमारी मांग पूरी होते ही हम हड़ताल खत्म करें देंगे. 32 हजार कर्मचारी पूरे मध्य प्रदेश में हड़ताल पर है.
एमपी में आंदोलनरत स्वास्थ्यकर्मियों की जो मांगे हैं उनमें विभागों में सीधी भर्ती के जरिए पदों को भरा जाए. आउटसोर्स और रोगी कल्याण समिति में कार्यरत कर्मचारियों को रिक्त पदों पर सरकार समायोजित करे. पुरानी पेंशन बहाल की जाए. नर्सिंग ऑफिसर को ग्रेड टू वेतनमान दिया जाए. चिकित्सा शिक्षा विभाग में स्वशासी में कार्यरत कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ 2016 से दिया जाए. तमाम मेडिकल कॉलेजों में नर्सिंग ऑफिसर को तीन और चार वेतन वृद्धि दी जाए. सीधी भर्ती में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को परिवीक्षा अवधि में 70-80-90 प्रतिशत वेतन की व्यवस्था समाप्त की जाए. नर्सेस और पैरामेडिकल स्टॉफ को रात्रिकालीन आकस्मिक चिकित्सा भत्ता दिया जाए.
संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ की हड़ताल के चलते गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखे. ये पत्र इन कर्मचारियों ने खून से लिखे. इसी तरह राज्य प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा से भी मुलाकात की. इस पर उन्होंने अपर मुख्य स्वस्थ्य मिशन संचालक, राष्ट्रीय स्वस्थ्य मिशन, प्रमुख सचिव वित्त और संविदा स्वास्थ्य संघ के प्रतिनिधिमंडल की संयुक्त बैठक कराने का आश्वासन दिया है जिससे मांगों के संबंध में वित्तीय समाधान निकाला जा सके. मिशन संचालक और स्वास्थ्य आयुक्त के साथ संविदा स्वस्थ्य कर्मियों के नियमितीकरण की मांग को लेकर संयुक्त बैठक हुई. प्रदेश के 32 हजार कर्मचारी हड़ताल पर हैं.