शनि देव अपनी स्वराशि कुंभ में 29 अप्रैल को गोचर कर जाएंगे। शनि के गोचर शनि के इस गोचर का सबसे ज्यादा प्रभाव कुंभ राशि के लोगों पर ही पड़ेगा। इसके अलावा मकर, मीन, कर्क और वृश्चिक राशियां भी शनि के इस गोचर से प्रभावित होंगी। जानिए शनि के राशि परिवर्तन का इन राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
शनि के कुंभ राशि में गोचर करते ही कुंभ वालों पर शनि साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू हो जाएगा। वैदिक ज्योतिष में ये चरण सबसे कष्टकारी माना जाता है क्योंकि इस दौरान शनि साढ़ेसाती अपने चरम प्रभाव पर होती है। इस दौरान व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। इस चरण में शनि व्यक्ति के उदर भाव में होते हैं, तो पेट, हार्ट, किडनी से संबंधित रोग होने की संभावना होती है।
साढेसाती के दूसरे चरण में रिश्तेदार, या किसी दोस्त से धोखा मिल सकता है। ऑफिस या कार्यक्षेत्र में अनुकूल परिस्थितियां नहीं बन पाती हैं। व्यापार में भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। दुर्घटना में चोट लगने के आसार रहते हैं। बार-बार धन हानि के योग बनते हैं। कुल मिलाकर इस चरण में सारे कष्ट प्राप्त होते हैं। साथ ही यह भी मान्यता है कि शनि देव साढेसाती के दूसरे चरण में व्यक्ति को आर्थिक रूप से मजबूत भी करते हैं। लेकिन यहां पर देखने वाली बात यह भी होती है कि शनि देव आपकी कुंडली में कहा और किस स्थिति में विराजमान हैं। अगर शनि देव की स्थिति सकारात्मक है, तो आप कुछ हद परेशानियों से बच सकते हैं।
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शनि का गोचर इसके अलावा मकर और मीन राशि वालों को भी प्रभावित करेगा। मकर वालों पर शनि साढ़ेसाती का तीसरा चरण शुरू हो जाएगा तो वहीं मीन वालों पर इसका पहला चरण, वहीं धनु वालों को शनि साढेसाती से मुक्ति मिल जाएगी। इस दौरान कर्क और वृश्चिक राशि के लोग शनि ढैय्या की चपेट में आ जायेंगे तो मिथुन और तुला वाले ढैय्या के प्रभाव से मुक्त हो जायेंगे।