खतरा अभी टला नहीं, 30 को फिर आएंगे अमित शाह।
विगत सप्ताह भर से मध्यप्रदेश भाजपा के सत्ता और संगठन के शीर्ष पदों पर बदलाव को लेकर चल रही असमंजस की स्थिति और अटकलों के साथ मीडिया सुर्खियों के बीच अमित शाह के भोपाल पहुंचने और उसके पहले प्रदेश बीजेपी के शीर्ष नेताओ के भोपाल में एकत्रित होने से बदलाव की पुख्ता खबरें तथाकथित मीडिया पर्सन ( पत्रकार नहीं) जारी करने लग गये थे और वाजिब भी था, कयासों और अटकलों की पत्रकारिता में ऐसी ही पुख्ता खबरें पढ़ने और देखने सुनने में आएगी ही। हालांकि कयासों अटकलों का आधार भी उनके अनुसार ठोस था जैसे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री बदलाव के लिए चल रहे एक नम्बर पर नाम वाले केन्द्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का मध्यप्रदेश के राजभवन में जाकर राज्यपाल मंगू भाई पटेल से मिलना, ठोस आधार था? जबकि बाद में ये हकीकत सामने आई कि वे वहां उन्हें निमंत्रण देने गये थे।
दिन भर ऐसे ही भोपाल में एकत्र इन नेताओं की बातों मुलाकातें पर ख़बरें बनती और उड़ती रही। इसी बीच तकरीबन सवा नौ के बाद अमित शाह भोपाल पहुंचे तो मुख्यमंत्री सहित पूरी कैबिनेट विमान तल पर पलक पांवड़े बिछा हाधो में फूल और गुलदस्ते लेकर स्वागतम अभिनन्दन को लालायित थी, आखिर स्वागत के इस अविस्मरणीय दौर के बाद अमित शाह अपने आने की वजह को मूर्त रूप देने मध्यप्रदेश के चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी सहित अन्य नेताओं के साथ बैठक के लिए बीजेपी कार्यालय पहुंचकर "चर्चारत हो गये।"
तकरीबन ढाई घंटे चले चिंतन मनन विचार विमर्श और प्रजेंटेशन के दौर के बाद सब कुछ समझ कर और सब कुछ समझाकर देश की सबसे बड़ी पार्टी के चाणक्य कहें जाने वाले नेता अमित शाह वापस दिल्ली लौट गये और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने मध्यप्रदेश में सत्ता और संगठन में बदलाव की बहती बंयार को प्रेस ब्रीफ करते हुए रोक बताया कि बैठक में अमित शाह ने बारिकी से चुनावी विश्लेषण किया और प्रदेश में विजय संकल्प अभियान चलाने का निर्देश दिया है।....
उधर बात निकलकर यह भी सामने आई है कि बैठक में अमित शाह ने नेताओं की अलग-अलग बयानबाजी पर भी विराम लगाने की चेतावनी देते हुए कहा कि वे एकजुटता का संदेश दें। प्रदेश में अब किसी तरह की खींचतान दिखाई नहीं पड़नी चाहिए।....
सनद रहे कि शाह को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की कमान सौंपी गई है। उन्होंने प्रभारी भूपेन्द्र यादव द्वारा गुजरात में अपनाई गई सूक्ष्म कार्ययोजना के अनुसार तैयारी का मन बना लिया है इसलिए ही उन्होंने प्रदेश बीजेपी को निर्देश देते कहा कि घोषणा पत्र समिति, चुनाव समिति, चुनाव प्रबंधन सहित अन्य समितियों के गठन की तैयारी करके रखें, मैं 30 को इस पर चर्चा करूंगा।....
तो सत्ता और संगठन में बदलाव की बयांर को जहां प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी ब्रीफिंग से रोक दिया था वहीं बैठक में अमित शाह के निर्देशो और तेवर की "छनकर आई" सूचनाओं से तो यही दिखाई देता है कि प्रदेश बीजेपी संगठन और सत्ता के शीर्ष बदलाव का खतरा अभी टला नहीं है, 30 जुलाई को अमित शाह फिर आ रहे हैं, और इसके बाद फिर- फिर आते जाते रहेंगे।....