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ताईं का सपना साकार : देवी अहिल्या की स्मृति को चिरस्थाई करता अहिल्या सदन तैयार, कल लोकार्पण : नितिनमोहन शर्मा

आपकी कलम Published by: Nitin Mohan Sharma Updated Tue, 20 Sep 2022 10:42 PM
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ताईं का सपना साकार : देवी अहिल्या की स्मृति को चिरस्थाई करता अहिल्या सदन तैयार, कल लोकार्पण : नितिनमोहन शर्मा
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पूर्व लोकसभा स्पीकर, शहर की 8 बार की सांसद और हम सबकी ताईं सुमित्रा महाजन का एक स्वप्न साकार हो गया। शहर को ताई की अगुवाई में अहिल्या स्मृति सदन की सौगात मिलने जा रही है। ये सौगात सिर्फ़ मराठी समुदाय के लिए ही नही, शहर की अधिष्ठात्री देवी अहिल्या बाई होलकर की स्मृति को चिरस्थाई बनाने के लिए समूचे इंदौर के लिए गर्व का विषय है। ये अहिल्या सदन राजबाड़ा के नजदीक यशवंत रॉड के उस हिस्से में बना है जो हरसिध्दि तरफ जाता है। 

शहर कांग्रेस के दफ्तर गांधी भवन के पास इस सदन में आकार लिया है। 21 सितंबर को जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद जी महाराज के हाथों इस सदन का लोकार्पण होने जा रहा है। इस अवसर पर सांसद शंकर लालवानी भी मौजूद रहेंगे। अहिल्या सदन के बाद महाजन का एक स्वप्न अहिल्या स्मारक का भी है जिस पर अब फ़ोकस किया जाएगा। ये स्मारक अंतराष्ट्रीय स्तर का बनेगा जिसमे देवी अहिल्या ओर होलकर राज का सम्पूर्ण चित्रण रहेगा। ये स्मारक लालबाग में बनेगा जिसे लेकर हाल ही में महाजन ने भोपाल जाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात भी की थी।

अहिल्या स्मृति सदन का लोकार्पण 21 सितंबर को दोपहर 2 होगा। महाजन के इस सामान्य सामजिक आयोजन को लेकर पार्टी में भी हलचल तेज हो गई है। भाजपाई हलकों में महाजन को राजनीतिक रूप से बिदा मानने वालों के लिए ताईं की ये सक्रियता चौकाने वाली है।

अहिल्या स्मृति सदन फिलहाल  2 मंजिल बना है। इसी सदन से अहिल्याजी से जुड़ी वर्षभर की गतिविधियां संचालित होगी। भवन के अभाव में अभी बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था और समस्त गतिविधियों का केंद्र गोपाल मंदिर बना हुआ था। 

होलकरयुगीन भवनों-महलों से वास्तुशिल्प

श्री अहिल्योत्सव समिति के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक डागा ओर सचिव शरयु वाघमारे ने बताया कि ये भवन का वास्तुशिल्प होलकर युगीन भवनों ओर महलों के अनुरूप लिया गया है। लकड़ी का काम अंदर बाहर ज्यादा किया है और वैसी ही रेलिंग ओर बिल्सीया लगाई गई है जो देवी अहिल्याजी के जीवन काल का स्मरण कराती है। सदन 2400 स्केवयर फीट पर बना है और करीब 5 हजार स्केवयर फीट कंस्ट्रक्शन किया गया है। अब अहिल्याजी के स्मारक का काम शुरू होगा जो अंतराष्ट्रीय स्तर का बनेगा।

विद्यार्थियों के लिए भी हॉल

स्मृति सदन में देवी अहिल्याजी से जुड़ी वस्तुओं और साहिय सामग्री भी  संग्रहालय के रूप में रहेगी। उनसे जुड़ी पुस्तको की एक लाइब्रेरी भी रहेगी। एक हाल उन विद्यार्थियों के लिए भी बनाया गया है जिन्हें देवी अहिल्या या होलकर राजवंश पर थीसिस या अध्ययन करना होगा। एक बड़ा सभागृह भी बनाया गया है जहां 150 लोग बैठ सकेंगे।

गुलाम भारत मे मिली थी सदन को जगह

अहिल्या स्मृति सदन के लिए जमीन गुलाम भारत मे 1943 में शासन से मिली थी। भारत के आजाद होने के बाद प्रदेश मध्यभारत कहलाता था। मध्यभारत प्रान्त के तब के मुख्यमंत्री बाबू तखतमल जैन ने 3 जून 1951 को इसका भूमिपूजन किया था। 60 -70 साल का ये भवन हो गया था जो बेहद जर्जर हालत में पहुंच चुका था। इसे पूरी तरह नष्ट कर नए भवन का काम शुरू किया गया। केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने इसका भूमिपूजन किया था। अब जूना पीठाधीश्वर इसका लोकार्पण कर रहे है।

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