Tuesday, 05 August 2025

उत्तर प्रदेश

700 साल पुरानी मंदिर जहां हनुमान जी की मूर्ति खाती है लड्डू, पीती है दूध और जपती है राम नाम, महाभारत काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास

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700 साल पुरानी मंदिर जहां हनुमान जी की मूर्ति खाती है लड्डू, पीती है दूध और जपती है राम नाम, महाभारत काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास
700 साल पुरानी मंदिर जहां हनुमान जी की मूर्ति खाती है लड्डू, पीती है दूध और जपती है राम नाम, महाभारत काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास

आज हम आपको हनुमान जी के ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने आप में बेहद खास है। दरअसल, उत्तर प्रदेश के जनपद इटावा मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर बीहड़ में प्रताप नगर ग्राम रुरा में यमुना नदी के किनारे पिलुआ बजरंगबली का मंदिर स्थापित है। हनुमान जी का यह मंदिर अपने आप में ही अनूठा है। मंदिर में स्थापित बाल रूप हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा अपने आप में बहुत अद्भुत है।

हनुमान जी की मूर्ति खाती है लड्डू, पीती है दूध

दरअसल, पिलुआ हनुमान मंदिर में हनुमान जी की जो लेटी हुई प्रतिमा है, वह बहुत ही अद्भुत है। इस प्रतिमा का मुंह खुला हुआ है। यहां पर रोजाना ही बड़ी संख्या में भक्त भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं। भक्त जो भी लड्डू या दूध भोग लगाते हैं, वह सीधा भगवान के पेट में चला जाता है। जी हां, हनुमान जी की मूर्ति को जो भी भक्त गण प्रेम और स्नेह से भोग लगाता है, तो वह हनुमान जी के पेट में चला जाता है। अभी तक पुरातत्व विभाग के शोधकर्ता भी इस बात का पता लगाने में सफल नहीं हो पाए हैं कि आखिर यह चमत्कार क्या है। पिलुआ हनुमान मंदिर जिले के ही नहीं बल्कि देशभर के श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।

हनुमान जी का यह मंदिर लगभग 700 वर्ष पुराना है। यह प्राचीन मंदिर सिद्ध पीठ के रूप में भी जाना जाता है। आपको बता दें पहले पिलुआ के पेड़ के नीचे हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित थी लेकिन आज यह मंदिर भव्य रूप ले चुका है और इस मंदिर का जीर्णोद्धार भी कराया जा रहा है। रुरा क्षेत्र में पिलुआ पेड़ अधिक संख्या में होने की वजह से यह मंदिर पिलुआ हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। आज यह प्राचीन मंदिर देश ही नहीं बल्कि विश्व भर में प्रसिद्ध है।

हर समय रामधुन रटते रहते हैं हनुमान जी

भगवान हनुमान जी की प्रतिमा स्थापत्य एवं मूर्ति कला की दृष्टि से अत्यधिक विस्मयकारी है। वैसे तो देश भर में ऐसे कई प्रमुख मंदिर है जहां पर हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमाएं हैं परंतु इस प्रतिमा की विशेषता यह है कि बाल रूप हनुमान जी लेटे हुए हैं और उनका मुंह खुला हुआ है। हनुमान जी भक्तों का प्रसाद ग्रहण करते हैं।

ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी की यह प्रतिमा हजारों टन लड्डू का प्रसाद ग्रहण कर चुकी है लेकिन आज तक उनका मुंह नहीं भरा। उनके मुखारबिन्द में जल और दूध हमेशा भरा रहता है और बराबर बुलबुले निकलते हुए नजर आते हैं। वहीं मंदिर के पुजारियों का इन बुलबुलों के बारे में ऐसा बताना है कि हनुमान जी हर समय रामधुन रटते रहते हैं। इतना ही नहीं बल्कि वह बराबर सांस लेते हैं।

महाभारत काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास

वहीं ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। पुरातत्वविदों के लिए भगवान की यह प्रतिमा आज भी शोध का विषय बनी हुई है। इस मंदिर के पुजारियों का ऐसा बताना है कि इस सिद्ध पीठ पर जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ आते हैं। हनुमान जी उनकी हर इच्छा को पूरी कर देते हैं। यहां पर मंगलवार और शनिवार के दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। लेकिन बुढ़वा मंगल के दिन काफी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। मंदिर में लाखों की तादात में आज के दिन भक्त पहुंचते हैं और भगवान बजरंगबली के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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