मध्य प्रदेश

जिला कोविड कमांड केंद्र 24 घंटे कार्यरत रखने के लिए राज्य शासन ने जारी किए निर्देश

Manoj Joshi (Darbar)
जिला कोविड कमांड केंद्र 24 घंटे कार्यरत रखने के लिए राज्य शासन ने जारी किए निर्देश
जिला कोविड कमांड केंद्र 24 घंटे कार्यरत रखने के लिए राज्य शासन ने जारी किए निर्देश

मध्यप्रदेश । प्रदेश में सभी संक्रमित जिलों में कार्यरत जिला कमांड कंट्रोल सेंटर पर बेहतर प्रबंधन और लगातार कार्य करते रहने के लिए राज्य शासन ने नए दिशा निर्देश जारी किए है।  जिससे कोरोना संक्रमित मरीजों को उनकी आवश्यकता के अनुसार स्वास्थ्य सेवाएं समय पर  उपलब्ध कराई जा सके, इसके लिए लगातार बेहतर प्रयास करने के लिए कमांड सेंटर में कार्यरत कर्मचारियों का रोटेशन और मनोबल बनाए रखने के लिए  भी विशेष दिशा निर्देश दिए गए है।

स्वास्थ्य आयुक्त मध्यप्रदेश श्री आकाश त्रिपाठी ने प्रदेश के समस्त कलेक्टर, समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, समस्त सिविल सर्जन को जिला कोविड कमांड सेन्टर के संबंध में एकीकृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह के यह निर्देश हैं कि कोविड पॉजिटिव  ऐसे मरीज जिनमें गंभीर लक्षण नहीं हैं, उन्हें होम आइसोलेशन  में अच्छी देखभाल के जरिए ठीक करने का प्रयास किया जाय जिससे अस्पतालों पर अधिक बोझ न पड़े और अस्पतालों में बेड गंभीर मरीजों के लिए उपलब्ध रहें। इसके लिए प्रत्येक जिले में जिला  कोविड कमांड कंट्रोल सेंटर (DCCC) की स्थापना की गई है।

जिला कमांड कंट्रोल सेंटर की कार्यप्रणाली के संबंध में एकीकृत दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं कि जिला कमांड कंट्रोल सेंटर के मुख्य कार्य होम आइशोलेशन में रहने वाले प्रत्येक मरीज से दिन में दो बार संपर्क करना और उनकी कुशलक्षेम पूछना।  कुशलक्षेम पूछने पर किसी मरीज की स्थिति गंभीर पाए जाने पर अस्पताल में दाखिल करने की कार्यवाही करना। यह सुनिश्चित करना कि होम आइशोलेशन के मरीज को दवाओं की किट उपलब्ध हो जाए। जिले में किसी समय अस्पतालों में उपलब्ध खाली बेड की जानकारी संधारित करना जिससे मरीजों को सही जानकारी मिल सके।  होम  आइशोलेशन में रह रहे मरीजों की शंकाओं का समाधान करना। जिला स्तरीय कॉल सेन्टर (1075) का संचालन जिससे कोविड संबंधी जानकारियां नागरिकों को मिल सकें।

कॉल सेन्टर (1075) की पर्याप्त संख्या में लाईनों को क्रियाशील रखना आवश्यक है। प्रत्येक जिले को राज्य स्तर से 30 लाईनें स्वीकृत की गई हैं। बड़े शहर वाले जिले, जहां इसे बढ़ाने की आवश्यकता हो वे कलेक्टर के अनुमोदन से इसे बढ़ा सकेंगे तथा मुख्यालय को सूचित करेंगे। सामान्यत: जितने कॉलर हों, उतनी लाईनें क्रियाशील होनी चाहिए और उतने टेलीफोन रहने चाहिए।

जिला कमांड कंट्रोल सेंटर में पर्याप्त संख्या में चिकित्सक और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाना आवश्यक है। सामान्य तौर पर एक व्यक्ति दिनभर में 50 मरीजों से बात कर सकता है अत: जिले में DCCC की कार्यप्रणाली-उपरोक्त कर्तव्यों को अच्छे ढंग से निभाने के लिए निम्नानुसार कार्यप्रणाली अपनाया जाना आवश्यक होगा-होम आइशोलेशन में रहने वाले प्रति 50 मरीजों पर एक कॉल करने वाले व्यक्ति की ड्यूटी लगानी चाहिए। मरीजों से DCCC का संपर्क संवेदनापूर्ण हो। इसके लिए आवश्यक है कि एक मरीज को एक ही कॉलर हर दिन संपर्क करेगा। अत: यह व्यवस्था बनाई जाए कि प्रत्येक कॉलर को मरीज आवंटित कर दिया जाए।

सभी कॉल करने वालों को यह प्रशिक्षण दिया जाए कि वे मरीजों की कुशलक्षेम पूछते समय यांत्रिक तरीके से न कर संवेदनापूर्ण तरीके से करें।

महामारी के इस दौर में तनाव से मुक्ति प्रबंधन सबसे महत्वपूर्ण पहलू है अत: जिला कमांड कंट्रोल सेंटर में कार्यरत सभी अधिकारी/कर्मचारियों को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाए कि वे मरीज से बात करते समय उसकी हिम्मत बनाए रखें और बीमारी के संबंध में सही जानकारी दें।

यह आदर्श स्थिति होगी कि प्रत्येक कॉल करने वाले को एक कम्प्यूटर टर्मिनल उपलब्ध कराया जाए जिस पर वह कॉल करने के साथ-साथ प्रविष्टियां भी करता चले। किन्हीं कारणों से यदि ऐसा करने में कठिनाई हो तो पर्याप्त संख्या में डाटा एन्ट्री ऑपरेटर भी लगाए जाएं जिससे सार्थक पोर्टल पर कॉल के साथ- साथ डाटा की प्रविष्टि तत्काल हो सके। 

जिला कमांड कंट्रोल सेंटर 24 घंटे संचालित होना चाहिए जिसमें मरीजों को कॉल करने का कार्य दिन में 9 बजे से लेकर शाम 6 जे तक समस्त स्टाफ के साथ और बाकी समय मरीजों की तरफ से आने वाले कॉल के जवाब के लिए एक न्यूनतम व्यवस्था एक चिकित्सक एवं एक पैरा मेडिकल स्टाफ की हो। पूर्व में यह निर्देश दिए गए थे कि जिला कमांड कंट्रोल सेंटर में एक एम्बूलेंस सदैव तैनात रहे। यदि किन्हीं कारणवश ऐसा करना संभव न हो तो एक एम्बूलेंस कॉल पर उपलब्ध रहनी चाहिए ताकि किसी मरीज की स्थिति बिगड़ने पर तत्काल एम्बूलेंस भेजकर उसे भर्ती कराया जा सके। तिदिन होम आइशोलेशन  में जाने वाले नए मरीजों को दवाई की एक किट उपलब्ध कराना है जो स्थानीय नगर निगम, नगर पालिका के सहयोग से की जाना होगी। DCCC से कॉल करते समय इस बात की अवश्य पुष्टि की जाए कि मरीज के पास दवाई की किट उपलब्ध है अथवा नहीं। 

जिला कमांड कंट्रोल सेंटर में जिले के शासकीय एवं निजी अस्पतालों में उपलब्ध रिक्त बिस्तरों की संख्या की अद्यतन जानकारी रखी जाए और उसे एक निश्चित समयावधि में लगातार अपडेट  किया जाए। जिससे 1075 कॉल करने वाले लोगों को सही स्थिति बताई जा सके। जिला कमांड कंट्रोल सेंटर में चिकित्सकों की ड्यूटी इस प्रकार लगाई जाए जिससे हर समय कम से कम एक चिकित्सक बात करने के लिए उपलब्ध रहे।  जिन मरीजों के पास स्मार्ट फोन है, वे ई-संजीवनी ओ.पी.डी का लाभ ले सकते है। उन्हें ई- संजीवनी ओ.पी.डी. एप डाउनलोड करने का परामर्श दिया जाये। यह आवश्यक है कि ई-संजीवनी ओ.पी.डी. पर सदैव चिकित्सकीय परामर्श की सुविधा मिले। इसके लिए यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाएं जिनमें राज्य के समस्त जिला चिकित्सालयों में एन.सी.डी नोडल अधिकारी एवं अन्य चिकित्सकों का चयन किया गया है जिनके द्वारा ई-संजीवनी ओ.पी.डी. के माध्यम से चिकित्सा सुविधा नागरिकों को दी जा रही है। इन चयनित चिकित्सकों का प्रशिक्षण और ई-संजीवनी ओ.पी.डी. पर रजिस्ट्रेशन का कार्य राज्य द्वारा पूर्ण कर दिया गया है। समस्त सिविल सर्जन यह सुनिश्चित करें कि जिला चिकित्सालय पर उपलब्ध हब पर चिकित्सकों की उपलब्धता घंटे हो (प्रति 8 घंटे में एक चिकित्सक) जिस हेतु चिकित्सकों का निर्धारित रोस्टर तैयार कर राज्य स्तर पर साझा किया जाये। 

जिला चिकित्सालय पर तैयार किये गये हब हेतु नोडल अधिकारी को निर्धारित किया जाये और चिकित्सक जिनकी ड्यूटी हब में लगाई गई है, का प्रशिक्षण तथा ई- संजीवनी ओ.पी.डी. में रजिस्ट्रेशन का कार्य जिला एम.एण्ड.ई. अधिकारी/आई.डी.एस.पी . डाटा मैनेजर द्वारा सुनिश्चित कराया जाये।  ई-संजीवनी ऐप को डाउनलोड करने की विधि एवं किये जाने वाले टेलीकन्सलटेशन हेतु आई.ई.सी. तैयार की गयी है, जिसकी जानकारी होम आईसोलेशन के मरीजों को दिया जाना सुनिश्चित करना शामिल है।

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