दिल्ली

वित्त मंत्री से ट्रेडर्स की मांग बजट में नए सिरे से इनकम टैक्स कानून और जीएसटी कानून की समीक्षा का हो ऐलान : ई कॉमर्स को लेकर रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन की मांग

Paliwalwani
वित्त मंत्री से ट्रेडर्स की मांग बजट में नए सिरे से इनकम टैक्स कानून और जीएसटी कानून की समीक्षा का हो ऐलान : ई कॉमर्स को लेकर रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन की मांग
वित्त मंत्री से ट्रेडर्स की मांग बजट में नए सिरे से इनकम टैक्स कानून और जीएसटी कानून की समीक्षा का हो ऐलान : ई कॉमर्स को लेकर रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन की मांग

नई दिल्ली : कोविड महामारी संक्रमण और ओमीक्रोन के चलते देश के व्यापारियों को बड़ा आर्थिक झटका लगा है. इसे देखते हुए देश के ट्रेडर्स की निगाहें एक फरवरी 2022 को पेश होने वाले बजट पर है. व्यापारियों की निगाहें इस बात पर टिकी होंगी कि केंद्रीय बजट में उनके लिए क्या घोषणाएं की जाती है जिससे देश में व्यापार करने के तरीके अधिक सुलभ हों. क्या बजट में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को सरल और युक्तिसंगत बनाने के लिए कोई महत्वपूर्ण कदम की घोषणा होगी. इनकम टैक्स कानून या भारत के ई-कॉमर्स व्यवसाय को सुव्यवस्थित करने के लिए भी कोई कदम उठाये जाएंगे ये तमाम सवाल ट्रेडर्स के मन में चल रहा है. 

कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की देश के 8 करोड़ से ज्यादा व्यापारियों की बजट से बड़ी अपेक्षाएं हैं. ट्रेडर्स की संस्था कैट ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट से जुड़ी अपनी मांगों की फेहरिस्त सौंप चुकी है. कैट ने आयकर क़ानून के पुनर्गठन, पार्टनरशिप फर्मों और एलएलपी फर्मों को कॉर्पोरेट सेक्टर के बराबर रखते हए आयकर की दरों में छूट, आयकर क़ानून में घर से काम करने वाले लोगों के लिए विशेष कटौती, जीएसटी क़ानून की समीक्षा की मांग की गई है.

डिजिटल इंडिया विजन को पूरा करने के लिए विशेष छूट एवं रियायतें देने की मांग : सभी प्रकार के लाइसेंसों के स्थान पर एक लाइसेंस, एक नियामक प्राधिकरण के प्रावधान वाली ई-कॉमर्स नीति का रोल आउट, खुदरा व्यापार के लिए एक राष्ट्रीय नीति, खुदरा व्यापार को नियंत्रित करने वाले सभी प्रकार के कानूनों और नियमों की समीक्षा, व्यापारी पेंशन योजना का पुनर्गठन,व्यापारियों को बीमा का प्रावधान और प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया विजन को पूरा करने के लिए भारत के मौजूदा खुदरा व्यापार के उन्नयन, आधुनिकीकरण और कम्प्यूटरीकरण के लिए विशेष छूट एवं रियायतें देने की मांग की गई है. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया ने कहा कि मौजूदा इनकम टैक्स कानून में बीते छह दशकों में कई बदलाव और संशोधन किए गए हैं और इसलिए कानून अपनी मूल संरचना खो चुका है. इसलिए इऩकम टैक्स कानून को फिर से तैयार करने के लिए एक विशेष कार्य बल का गठन की घोषणा को बजट का हिस्सा होना चाहिए. बजट में व्यापारियों को टैक्स कलेक्टर का दर्जा देने की मांग की गई है. मंहगाई को देखते हुए खुदरा स्तर पर कारोबार में गांवों से शहर में खरीदारी के लिए आने वाले लोगों को नकद भुगतान करना पड़ रहा है. व्यय के तहत 10,000 रुपये और ऋण और जमा के लिए ₹20000 की सीमा बहुत कम है. इसको बढ़ाकर कम से कम 50 हजार करने की जरूरत है. 

ई कॉमर्स देश में तेजी से बढ़ रहा : ट्रेडर्स ने बजट में 4 साल के अनुभव के आधार पर जीएसटी कानून के नए सिरे से समीक्षा की घोषणा किये जाने की है. ई कॉमर्स देश में तेजी से बढ़ रहा है. 18 वर्ष से 40 वर्ष के लोग जो वास्तव में उपभोक्ता के रूप में खरीदी करते हैं, उनको देखते हुए ई कॉमर्स व्यापार में बड़ी विदेशी कंपनियों द्वारा किये गए विकृत रूप को ठीक करना जरूरी है. ई कॉमर्स को लेकर एक रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन किये जाने की भी मांग की गई है.

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