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UP Nikay Chunav : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द किया ओबीसी आरक्षण : कोर्ट के फैसले से राज्य सरकार को लगा बड़ा झटका

उत्तर प्रदेश Published by: Paliwalwani Updated Tue, 27 Dec 2022 11:36 PM
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उत्तर प्रदेश : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों को लेकर अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि ओबीसी आरक्षण के बगैर तत्काल स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएं. हाईकोर्ट के फैसले के बाद ओबीसी के लिए आरक्षित सभी सीटें अब जनरल मानी जाएंगी. कोर्ट ने 87 पेज के फैसले से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है. अदालत ने निकाय चुनाव के लिए 5 दिसम्बर 2022 को सरकार के अनंतिम ड्राफ्ट आदेश को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को निकाय चुनावों को बिना ओबीसी आरक्षण के ही कराने के आदेश दिए हैं.

न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने यह फैसला इस मुद्दे पर दाखिल 93 याचिकाओं को मंजूर करके सुनाया. कोर्ट ने कहा कि बगैर ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता पूरी किए ओबीसी को कोई आरक्षण नहीं दिया जाएगा. नगर पालिकाओं का कार्यकाल या तो खत्म हो चुका है या फिर खत्म होने वाला है, ऐसे में राज्य सरकार/ राज्य निर्वाचन आयोग तत्काल चुनाव अधिसूचित करेंगें.

चुनाव की जारी होने वाली अधिसूचना में सांविधानिक प्रावधानों के तहत महिला आरक्षण शामिल होगा. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि ट्रिपल टेस्ट संबंधी आयोग बनने पर ट्रांसजेंडर्स को पिछड़ा वर्ग में शामिल किए जाने के दावे पर गौर किया जाएगा. कोर्ट ने सरकार द्वारा गत 12 दिसंबर 2022 को जारी उस आदेश को भी खारिज कर दिया, जिसके जरिए सरकार ने उन स्थानीय निकायों में प्रशासक तैनात करने की बात कही थी, जिनका कार्यकाल शीघ्र पूरा होने जा रहा है.

याचियों की ओर से दलील दी गई थी कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है. इसका सामाजिक, आर्थिक अथवा शैक्षिक पिछड़ेपन से कोई लेना देना नहीं है. ऐसे में ओबीसी आरक्षण तय किए जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत डेडिकेटेड कमेटी द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य है. यह भी दलील दी गई कि ओबीसी को आरक्षित की गई सीटों को सामान्य मानते हुए चुनाव कराया जा सकता है.

यह है पूरा मामला

पहले, कोर्ट ने प्रदेश के नगर निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि सरकार ने ओबीसी कोटे का आरक्षण तय करने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये ट्रिपल टेस्ट फामूर्ले का अनुपालन नहीं किया. वैभव पांडे सहित कई याचीगणों ने अलग-अलग याचिकाएँ दायर करके नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन न करने का राज्य सरकार पर आरोप लगाया था.

याचीगणों की ओर से दलील दी गई थी कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल सुरेश महाजन के मामले में दिये गये निर्णय में स्पष्ट तौर पर आदेश दिया था कि स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले ट्रिपल टेस्ट किया जाएगा. यदि ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता नहीं की जा सकी है, तो एससी व एसटी सीटों के अलावा बाकी सभी सीटों को सामान्य सीट घोषित करते हुए चुनाव कराए जाएंगे. आरोप लगाया गया था कि शीर्ष अदालत के स्पष्ट दिशानिर्देशों के बावजूद राज्य सरकार ने बिना ट्रिपल टेस्ट के 5 दिसंबर 2022 को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को भी शामिल किया गया था.

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