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बसपा सुप्रीमो मायावती ने रिश्तेदारों को चेताया- मेरे लिए कोई बड़ा या सगा नहीं : फैसले से भूचाल

उत्तर प्रदेश Published by: paliwalwani Updated Mon, 24 Feb 2025 12:19 AM
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उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बड़ा सियासी फैसला लिया है. उन्होंने डॉ. अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया है. सिद्धार्थ तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़  और दिल्ली जैसे बड़े राज्य के प्रभारी रहे हैं. मायावती ने उन्हें पहले एमएलसी बनाया और वर्ष 2016 में राज्यसभा भी भेजा था. वो वर्ष 2022 तक राज्यसभा सांसद रहे हैं.

उत्तर प्रदेश. बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फ‍िर बता द‍िया है कि पार्टी हित से बड़ा कुछ भी नहीं है. बसपा नेता व भतीजे आकाश आनंद के ससुर डॉ. अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निलंबित करने के बाद बसपा सुप्रीमो ने एक के बाद एक सिलेवार कई पोस्‍ट किए. मायावती ने इस पोस्‍ट के जरिये इशारा किया कि पार्टी हित से बड़ा मेरे लिए कोई नहीं है, फिर चाहे वह कितना ही सगा क्यों न हो?. 

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म X पर लिखा- बीएसपी, देश में बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के मानवतावादी आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के कारवां को सत्ता तक पहुंचाने हेतु, कांशीराम द्वारा सब कुछ त्यागकर स्थापित की गई पार्टी व मूवमेन्ट, जिसमें स्वार्थ, रिश्ते-नाते आदि महत्वहीन अर्थात बहुजन-हित सर्वोपरि है. 

मायावती ने आगे लिखा, इसी क्रम में कांशीराम जी की शिष्या व उत्तराधिकारी होने के नाते उनके पदचिन्हों पर चलते हुए मैं भी अपनी आखिरी सांस तक हर कुर्बानी देकर संघर्ष जारी रखूंगी ताकि बहुजन समाज के लोग राजनीतिक गुलामी व सामाजिक लाचारी के जीवन से मुक्त होकर अपने पैरों पर खड़े हो सकें. 

आगे लिखा, अतः कांशीराम जी की तरह ही मेरे जीतेजी भी पार्टी व मूवमेन्ट का कोई भी वास्तविक उत्तराधिकारी तभी जब वह भी, श्री कांशीराम जी के अन्तिम सांस तक उनकी शिष्या की तरह, पार्टी व मूवमेन्ट को हर दुःख-तकलीफ उठाकर, उसे आगे बढ़ाने में पूरे जी-जान से लगातार लगा रहे. 

साथ ही, देश भर में बीएसपी के छोटे-बड़े सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को भी पार्टी प्रमुख द्वारा निर्देश, निर्धारित अनुशासन एवं दायित्व के प्रति पूरी निष्ठा व ईमानदारी से जवाबदेह होकर पूरे तन, मन, धन से लगातार काम करते रहना ज़रूरी है. 

बता दे : राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बसपा सुप्रीमो मायावती का पार्टी में हमेशा मजबूत पकड़ रही है. पार्टी में कभी कोई नंबर दो या तीन की हैसियत में नहीं रह पाया. स्वामी प्रसाद मौर्य, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, रामअचल राजभर, लालजी पटेल, इंद्रजीत सरोज आदि इसके उदाहरण हैं. इन नेताओं ने एक-एक करके सपा या दूसरी पार्टी ज्वाइन कर ली. 

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