रिलीज होने के बाद ही फिल्म आदिपुरुष का (Protest against film Adipurush) विरोध होने लगा. मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों से विरोध में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. अब उज्जैन के साधु-संतों ने इस फिल्म का विरोध किया है. संतों ने वीडियो जारी कर कहा कि इस फिल्म से सनातन धर्म को मानने वालों की भावनाएं हुई हैं.
उज्जैन :
संतों का कहना है कि फिल्म ग्रंथों के अनुसार नहीं हैं. पैसा कमाने के उद्देश्य से फिल्मकार फिल्म बना रहे हैं और हिंदुओं को भावनाओं को बार-बार आहत कर रहे हैं.
आवरण व आचरण दोनों में मिलावट : उज्जैन महामंडलेश्वर स्वामी शैलेशानंद गिरी महाराज ने कहा कि आधुनिक युग मे प्रत्येक क्रिया वस्तु मंदिर को उत्पाद माना जाने लगा है. उपार्जन के लिए उसका उपयोग किया जा रहा है. श्री और श्रेय साथ होंगे तभी श्रेष्ठ बनेंगे यानी किसी भी प्रकार से समाज मे विवाद उत्पन्न कर आपको धन तो मिल जाएगा. जिज्ञासावश आप आदिपुरुष फ़िल्म देखने जाएंगे, लेकिन श्रेय नहीं मिलेगा. आदिपुरुष के आवरण और आचरण दोनों में मिलावट की गई है. हमारे ग्रंथों में प्रभु श्रीराम व मां सीता के वेशभूषा के बारे में एकदम स्पष्ट है.
सेंसर बोर्ड पर नाराजगी : संतों का कहना है कि सेंसर बोर्ड की कैंची सिर्फ हिंदू धर्म पर ही चलती है, बाकी धर्मों की बात पर आपत्ति दर्ज होती है, तो तुरंत कैंसल कर दिया जाता है. सेंसर बोर्ड के पैनल में साधुसंतों का एक सलाहकार नियुक्त होना चाहिए वहीं संत अवधेशपुरी महाराज ने कहा कि ये घोर आश्चर्य का विषय है. आदिपुरुष में जगत जननी मां सीता को कैसा दर्शाया गया है. इससे जो हिन्दू फ़िल्म देखेगा उसकी भावनाएं आहत होंगी. जो ग्रंथ मर्यादाओं पर आधारित है. भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं. मां सीता शालीनता भक्ति का मर्यादा का स्वरूप हैं. उनके इतने पवित्र चरित्र को इस प्रकार से अश्लीलता के साथ परोसा जाएगा तो हमारे धर्म संस्कृति का क्या होगा.