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दो कौड़ी का...क्यों बोलते हैं आप, लेकिन इसकी कीमत जानते हैं?

धर्मशास्त्र Published by: Paliwalwani Updated Thu, 16 Nov 2023 05:35 PM
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दो कौड़ी का… यह लाइन तो आपने बार-बार सुनी होगी. आमतौर पर कई लोगों को लगता होगा कि यह एक ऐसी चीज है, जिसकी कोई कीमत नहीं. या कीमत होगी भी तो काफी कम. फ‍िल्‍मों के डॉयलॉग में भी अक्‍सर इस वाक्‍यांश का प्रयोग किया जाता है. लेकिन ‘दो कौड़ी’ शब्‍द का सही मतलब क्‍या है? कौड़ी की कीमत कितनी होती है? ऑनलाइन प्‍लेटफार्म कोरा पर यही सवाल पूछा गया. आइए जानते हैं इसका सही जवाब.

हम सब जानते हैं कि नोट और रुपया आने से पहले भी भारत में करंसी का चलन था. तब धेला, पाई, दमड़ी, आना, में कारोबार होता था. यह करंसी की सबसे छोटी ईकाई हुआ करते थे. आप बुजुर्गों से पूछेंगे तो उन्‍हें इनके बारे में पता होगा. कई लोगों ने तो इस्‍तेमाल भी किया होगा. कुछ तो अभी कहेंगे… अरे मेरे जमाने में तो एक आने में इतनी चीजें मिल जाती थीं. तो आख‍िर ‘दो कौड़ी का’ शब्‍द का क्‍या मतलब? तो बता दें कि एक जमाने में फूटी कौड़ी हमारी करंसी हुआ करती थी, जिसकी कीमत सबसे कम होती थी.

तीन फूटी कौड़ियों से एक कौड़ी बनती थी और दस कौड़ियों से एक दमड़ी. आज कल के बोलचाल में फूटी कौड़ी एवं दमड़ी को मुहावरे के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. दमड़ी के ऊपर भी मुद्राएं होती थीं. जैसे 2 दमड़ी से 1.5 पाई बनता था और 1.5 पाई से एक धेला. यहां से आपको और समझ आने लगेगा. 2 धैला मिलाकर 1 पैसा तैयार हो जाता था और 3 पैसे का 1 टका होता था. 2 टके को 1 आना बोलते थे और 2 आने को दोअन्नी. इसी तरह 4 आने को चवन्नी, 8 आने को अठन्नी और 16 आने को 1 रुपया कहा जाता था. चवन्‍नी और अठन्‍नी तो बहुत सारे लोगों ने देखी होगी.

 

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