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संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व, इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से विघ्नहर्ता हर लेंगे

धर्मशास्त्र Published by: Paliwalwani Updated Sun, 11 Dec 2022 01:59 AM
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हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा सर्वप्रथम मानी गई है। इसलिए चतुर्थी व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। बता दें कि पौष मास का शुभारम्भ हो चुका है, ऐसे में इस पवित्र महीने में संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। हर माह के कृष्ण और शुक्ल, दोनों पक्षों की चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा का विधान है।

बस फर्क केवल इतना है कि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी, जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है, और यह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है, तो इसलिए  11 दिसंबर 2022 को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत मनाया जाएगा।संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत के उपलक्ष्य में भगवान श्री गणेश की उपासना बड़ी ही फलदायी होगी। संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का अर्थ होता है- संकटों को हरने वाली। भगवान गणेश बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य को देने वाले हैं। चलिए आपको बताते हैं संकष्टी चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त : पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का शुरुआत 11 दिसंबर 2022 को शाम 4 बजकर 14 मिनट से शुरू होगा।इसका समापन 12 दिसंबर 2022 को शाम 6 बजकर 48 मिनट पर होगा। चतुर्थी तिथि के दिन चंद्र देव की पूजा का भी विधान है। इस व्रत का पारण चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद किया जाता हैऔर चन्द्रोदय शाम 7 बजकर 45 मिनट पर होगा। 

पूजा विधि : संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह  सवेरे उठकर स्नान करें और साफ़ वस्त्र पहने। इसके बाद पूजा-घर की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़के। भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने के बाद उन्हें फल और मोदक का भोग लगाएं। इसके बाद गणेश चालीसा का पाठ करें। फिर व्रत का संकल्प लें और संध्या काल में चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें। 

संकष्टी महत्व : संकष्टी चतुर्थी में भगवान गणेश की उपासना शीघ्र फलदायी मानी गई है। कहते हैं कि जो व्यक्ति संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत करता है, उसके जीवन में चल रही सभी समस्याओं का समाधान निकलता है और उसके सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। paliwalwani.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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