Bhai Dooj Special : हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज या भ्राता द्वितीया के नाम से जाना जाता है। होली भाई दूज का यह पर्व भाई-बहन के प्यार को दर्शाता है। होली के बाद देश के कई राज्यों में होली का त्यौहार बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाईयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना के लिए पूजा व व्रत रखती हैं। इस के बदले में भाई अपनी बहन को जीवन भर रक्षा करने का वचन देता है, आइए जानते हैं होली भाई दूज के महत्व और कथा के बारे में।
होली के बाद आने वाली भाई दूज को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार भाई-बहन के एक-दूसरे के प्रति प्यार को दर्शाता है। होली के दूसरे दिन पड़ने वाली भाई दूज भी कई हिस्सों में मनाया जाता है। एक कथा के अनुसार, यमराज ने अपनी बहन यमुना के घर जाकर टीका लगवाया था और भोजन ग्रहण किया था। यमराज ने अपनी बहन को आशीर्वाद देते हुए कहा था, जो भी भाई अपनी विवाहित बहन के घर जाकर तिलक लगवाएगा और भोजन ग्रहण करेगा। उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।
एक कथा के अनुसार, एक बार द्वितीया तिथि पर एक भाई तिलक लगाने के लिए अपनी बहन के घर जा रहा था परंतु उस रास्ते में बहुत सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। रास्ते में इसे नदी, शेर व सांप मिले, जो उसके प्राण लेना चाहते थे। भाई ने उनसे वादा किया कि जब वो अपनी बहन के घर से टीका लगाकर लौटेगा तो अपने प्राण उन्हें भेंट स्वरुप दे देगा। यह वादा करने के बाद भाई बहुत दुखी हो गया। जब बहन ने भाई के दुख का कारण सुना तो उसने भाई की जान बचाने के लिए एक उपाय दिया। जिससे भाई के प्राणों की रक्षा हुई। इसके बाद भाई ने बहन की रक्षा करने का वचन दिया। तभी से होली भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।
जिस तरह दिवाली के बाद मनाए जाने वाले भाई दूज में बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है। उसी तरह ही होली के दूसरे दिन होली भाई दूज में बहनें भाई को तिलक लगाकर इस त्यौहार को मनाती हैं। माना जाता है कि होली के अगले दिन जब बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं तो उनके जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में खुशियां आती हैं।