नई दिल्ली. कोरोना वायरस के नए स्वरूप ‘ओमिक्रॉन’ को लेकर दुनियाभर में चिंताओं के बीच कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. के सुधाकर ने सोमवार को कहा कि दक्षिण अफ्रीका से हाल में बेंगलुरु आए दो लोगों में से एक का नमूना ‘डेल्टा स्वरूप से अलग है.’ मंत्री ने कहा कि वह आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कह सकते क्योंकि वह अभी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के अधिकारियों के संपर्क में हैं.
सुधाकर ने कहा, “पिछले नौ महीनों से केवल डेल्टा स्वरूप के मामले आए हैं, लेकिन आप कह रहे हैं कि नमूनों में से एक ओमिक्रॉन स्वरूप का है. मैं इसके बारे में आधिकारिक तौर पर नहीं कह सकता. मैं आईसीएमआर और केंद्र सरकार के अधिकारियों के संपर्क में हूं.” उन्होंने कहा कि नमूने को आईसीएमआर में भेजा गया है.
व्यक्ति की पहचान का खुलासा करने से इनकार करते हुए मंत्री ने कहा कि उसकी कोविड रिपोर्ट से पता चलता है कि वह कोरोना वायरस के एक अलग स्वरूप से संक्रमित हुआ है. मंत्री ने कहा, “63 साल का एक व्यक्ति है जिसका नाम मुझे नहीं बताना चाहिए. उनकी रिपोर्ट थोड़ी अलग है. यह डेल्टा स्वरूप से अलग दिखता है. हम आईसीएमआर के अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे और बताएंगे कि यह क्या है.”
मंत्री ने कहा कि वह उठाए जाने वाले कदमों के संबंध में मंगलवार को अपने विभाग के प्रमुख सचिव से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर के डॉक्टरों के साथ बैठक की अध्यक्षता करेंगे. उन्होंने कहा कि बैठक के लिए कोविड-19 पर तकनीकी सलाहकार समिति के सदस्यों को भी आमंत्रित किया गया है. सुधाकर ने यह भी कहा कि उन्होंने ओमिक्रॉन स्वरूप पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
उन्होंने कहा, “हमें एक दिसंबर को स्पष्ट जानकारी मिलेगी कि जीनोमिक अनुक्रमण के बाद ओमिक्रॉन कैसे व्यवहार करता है. इसके अनुसार हम सभी उपाय शुरू करेंगे.” मंत्री ने कहा, “हम पिछले 14 दिनों में दक्षिण अफ्रीका से आए सभी लोगों पर नजर रख रहे हैं और उन पर करीब से नजर रख रहे हैं. हमने शनिवार से उनके प्राथमिक और द्वितीयक संपर्कों का पता लगाना और जांच करना शुरू कर दिया है.”
सुधाकर चिकित्सक भी हैं. ओमिक्रॉन स्वरूप के बारे में सुधाकर ने कहा कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में काम कर रहे अपने सहपाठी डॉक्टरों से भी बात की है, जिन्होंने उनको बताया कि नया स्वरूप डेल्टा संस्करण जितना खतरनाक नहीं है. डॉ. सुधाकर ने कहा कि लोगों को बेचैनी और उल्टी की दिक्कतें होती हैं और कभी-कभी नाड़ी की गति बढ़ जाती है, लेकिन स्वाद और गंध का अनुभव बना रहता है. अस्पताल में भर्ती होने की दर कम है क्योंकि इसकी तीव्रता गंभीर नहीं है.