राजसमंद. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शताब्दी वर्ष यात्रा को समर्पित “सुंदर स्मृति व्याख्यानमाला” का प्रथम पुष्प रविवार को जिला परिषद सभागार, राजसमंद में आयोजित हुआ. व्याख्यानमाला का यह आयोजन ध्येयनिष्ठ स्वयंसेवक स्व. सुंदर लाल पालीवाल की स्मृति में किया गया, जिन्होंने स्त्री सम्मान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया और आजीवन संघ कार्य में समर्पित रहे.
व्याख्यानमाला के मुख्य वक्ता, धर्म जागरण समन्वय के अखिल भारतीय विधि प्रमुख श्री राम प्रसाद जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी सौ वर्ष की यात्रा पूर्ण करने जा रहा है. यह यात्रा संघर्ष, त्याग और समर्पण से भरी हुई है. संघ को आज की स्थिति तक पहुँचाने में अनेकों स्वयंसेवकों ने कितने कष्ट सहे, यह इतिहास समाज को प्रेरणा देता है.
उन्होंने कहा कि स्व. सुंदर लाल जी पालीवाल की विशेषता यह थी कि वे अन्याय पर प्रतिक्रिया देते थे. जीवंत समाज वही है, जो अन्याय और असत्य पर प्रतिक्रिया करे. जब समाज मौन हो जाता है, तब वह मृतप्राय हो जाता हैं. भारत का इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब गजनवी ने सोमनाथ मंदिर तोड़ा या जब बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर पर आघात हुआ, समाज की व्यापक प्रतिक्रिया नहीं आई. इसी कारण संकट बढ़ते गए.
राम प्रसाद जी ने कहा कि भारत केवल भूमि का टुकड़ा नहीं, यह मातृभूमि है, जिसके प्रति एकांतिक निष्ठा आवश्यक हैं. संघ ने समाज परिवर्तन के लिए पाँच सूत्र दिए हैं. सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन, नागरिक कर्तव्य और स्वदेशी अपनाना. इन्हीं के आधार पर अखंड, समृद्ध और स्वतंत्र भारत का निर्माण संभव हैं.
सोहन जी नागौरी धरियावद व दीपक जोशी बांसवाड़ा ने बताया कि जब वे अस्पताल में मिलने पहुँचे तो उस समय सुंदर लाल जी पालीवाल ने उनसे दुखी न होने को कहा और पूछा शाखा का कार्य कैसा चल रहा है?” यह सुनकर सभागार भावुक हो उठा. उनके साथी चित्तौड़गढ के लक्ष्मीलाल वैद्य ने आपातकाल का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि सुंदर लाल जी पालीवाल श्रद्धा, शौर्य और सरलता की प्रतिमूर्ति थे, जिनमें नेतृत्व की अद्वितीय क्षमता थी. प्रचारक विश्वजीत, सुंदरलाल कटारिया जो इस घटना में उनके साथ थे, आदि ने भी संस्मरण बताए. स्व. सुंदर लाल जी पालीवाल की पत्नी मीना जी पालीवाल जी व पुत्र घनश्याम जी पालीवाल ने अपने वक्तव्य में बताया कि उनके पति का कार्य एक स्वयंसेवक के करने का कर्तव्य कार्य मात्र ही है और उन्होंने इसका निर्वहन किया, वे जीवन पर्यंत सदैव समाज के लिए सजग रहे.
प्रस्तावना डॉ. सुनील खटीक ने कहा कि राजसमंद विचार प्रवाह के क्रम में यह वार्षिक व्याख्यान माला संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर शुरू की गई. हर वर्ष नये विषय के साथ समाज के प्रबुद्धजन के साथ विमर्श होगा. कार्यक्रम का आरंभ स्व. सुंदर लाल पालीवाल जी को पुष्पांजलि अर्पित के साथ हुआ.
परिवारजन और अतिथियों ने उनके जीवन के प्रेरक प्रसंगों को याद किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. वंदना पालीवाल ने किया. अंत में नंदलाल सिंघवी ने सभी का आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगीत वन्देमातरम व समापन राष्ट्रगान से हुआ.
सुंदर स्मृति व्याख्यानमाला” का प्रथम पुष्प एक प्रेरणादायी और भावनाओं से परिपूर्ण आयोजन के रूप में संपन्न हुआ, जिसने समाज के समक्ष यह संदेश रखा कि राष्ट्रनिर्माण का मार्ग त्याग, निष्ठा और सतत समर्पण से ही प्रशस्त होता हैं.