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800 करोड़ की लागत से तैयार दुनिया का सबसे बड़ा कृष्णा मंदिर

अन्य ख़बरे Published by: Paliwalwani Updated Mon, 30 Aug 2021 08:10 PM
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पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से 130 किमी दूर नदिया जिले के मायापुर में दुनिया का सबसे बड़ा कृष्ण मंदिर बन रहा है। 6 लाख स्क्वायर फीट से भी ज्यादा क्षेत्र में तैयार हो रहे इस मंदिर में 7 फ्लोर हैं। पुजारी फ्लोर फरवरी-2020 में ही तैयार हो चुका है। साल 2023 में मंदिर का 80काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद इसे भक्तों के लिए खोलने की योजना है। आज जन्माष्टमी के मौके पर हम मायापुर पहुंचे और जाना कि मंदिर कैसे तैयार हो रहा है।

 

कंस्ट्रक्शन वर्क के चलते मंदिर में अभी कोई नहीं जा सकता। हालांकि ग्राउंड फ्लोर पर इंटीरियर का काम पूरा हो चुका है। हम स्पेशल परमिशन लेकर वहां तक पहुंचे। हमारे साथ संस्था के रमेश महाराज भी थे। अंदर से देखने पर मंदिर किसी पैलेस की तरह नजर आता है। इंटीरियर तो पश्चिम के हिसाब से है, लेकिन इसमें फील वैदिक संस्कृति का है।

 

मंदिर का निर्माण इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ कृष्णा कॉन्सियशनेस यानी इस्कॉन (ISKON) करवा रहा है। मंदिर के चेयरमैन अल्फ्रेड फोर्ड हैं, जो यूएस की ऑटोमोबाइल कंपनी फोर्ड के संस्थापक हैं। इस्कॉन जॉइन करने के बाद उनका नाम अब अंबरीश दास है। मायापुर स्थित मंदिर संस्था का आध्यात्मिक मुख्यालय भी है। 

मंदिर का ओवरऑल स्ट्रक्चर कैसा है? इसमें कुल कितने फ्लोर हैं?

यह एक यूनीक टेम्पल है। इसमें कुल 7 फ्लोर हैं। यूटिलिटी फ्लोर, पुजारी फ्लोर, टेम्पल फ्लोर के बाद म्यूजियम फ्लोर्स हैं। खास बात यह है कि पुजारी फ्लोर 2.5 एकड़ में फैला हुआ है। यह दुनिया का सबसे बड़ा पुजारी फ्लोर है। यहां पुजारी भगवान की पूजा से जुड़ी तैयारियां करेंगे।

इसे दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर क्यों कहा जा रहा है?

 इसकी दो वजह हैं। पहली तो यह कि इसका गुंबद जितना बड़ा है, उतना अन्य किसी मंदिर का नहीं है। गुंबद के अंदरूनी भाग में कॉस्मोलॉजिकल मॉडल तैयार किया जा रहा है। यानी यहां दुनिया क्यों बनी, कैसे बनी, किसने बनाई, यह सब भी भक्तों को पता चलेगा। इसे साइज के चलते भी दुनिया का सबसे बड़ा वैदिक मंदिर बताया जा रहा है, क्योंकि यह 6 लाख स्क्वायर फीट से भी ज्यादा एरिया में फैला हुआ है। मंदिर में प्लेनेटेरियम (ताराघर) तैयार किया गया है।

इसे वैदिक तारामंडल (प्लेनेटेरियम) कहा जा रहा है, इसका क्या मतलब है?

इसके पीछे भगवत गीता की फिलॉसफी है। मंदिर के फोकस में अध्यात्म और विज्ञान दोनों हैं। मंदिर के गुंबद में कॉस्मोलॉजिकल मॉडल नजर आएगा, जो दुनिया की रचना के बारे में बताएगा। यह ऐसा पहला मंदिर भी है, जहां मंदिर और प्लेनेटेरियम एक साथ ही हैं। प्लेनेटेरियम का एक पूरा सेक्शन यहां तैयार किया गया है।

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