कहते हैं दान से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है। हालांकि अपनी मेहनत की गाड़ी कमाई को दिल खोलकर दान करने का गुदा हर किसी में नहीं होता है। लेकिन लोग उस समय हैरान रह गए जब मुरादाबाद के बिजनेसमैन डॉ अरविंद गोयल ने अपनी करीब 600 करोड़ रुपए की संपत्ति उत्तर प्रदेश सरकार को दान करने का ऐलान किया। उन्होंने ये पैसे अपनी 50 साल की मेहनत से कमाए थे। और अब ये सभी दान कर रहे हैं ताकि गरीबों को मुफ़्त एजुकेशन और अच्छा इलाज मिल सके।
अरविंद ने अपनी पूरी संपत्ति में से अपने लिए सिर्फ एक बंगला रखा है। यह बंगला मुरादाबाद के सिविल लाइंस में स्थित है। इस बंगले में वे अपनी पत्नी रेणु गोयल,, दोनों बेटों (मधुर, शुभम प्रकाश गोयल) और बेटी के साथ रहेंगे। उनके 600 करोड़ की संपत्ति के दान करने में पूरे परिवार ने सहमति जताई है। अरविंद का बड़ा बेटा मुंबई में है तो छोटा मुरादाबाद में पिता का बिजनेस में हाथ बटाता है।
बता दें कि अरविंद गोयल के पिता प्रमोद कुमार गोयल और माता शुकंतला देवी दोनों ही एक स्वतंत्रता सेनानी रह चुके हैं। इतना ही नहीं उनके दामाद सेना में कर्नल तो ससुर कोर्ट में जज रह चुके हैं। इसके अतिरिक्त उनके बहनोई मुख्य चुनाव आयुक्त रह चुके हैं। अरविंद शुरू से ही लोगों के हित के लिए कई अच्छे काम कर चुके हैं। जैसे उनके कई स्कूल, वर्द्धाश्रम, अनाथाश्रम और मुफ्त स्वास्थ्य केंद्र चलते हैं।
उनके खोले गए स्कूल में गरीब बच्चे मुफ़्त में शिक्षा लेते हैं। कोरोना महामारी के दौरान तो उन्होंने 50 गांव गोद ले लिए थे। तब उन्होंने मुसीबत में फंसे लोगों को फ्री में भोजन और मेडिसिन दी थी। अरविंद गोयल ने समाज के लिए इतने नेक काम किए कि अभी तक चार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम उन्हें सम्मानित कर चुके हैं।
अरविंद गोयल की प्रॉपर्टी को सही मूल्य पर बेचने के लिए 5 मेंबर्स की एक कमेटी बनाई जाएगी। इसमें 3 मेंबर गोयल चुनेंगे जबकि बाकी 2 सरकार चुनेगी। इस प्रॉपर्टी को बेचकर जो भी पैसा आएगा उससे अनाथ और बेसहारा लोगों को फ्री में एजुकेशन और मेडिकल सुविधाएं दी जाएगी।
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर कोई अपनी जिंदगीभर की इतनी कमाई कैसे दान कर सकता है? दरअसल अरविंद गोयल ने ये फैसला 25 साल पहले ही कर लिया था। वह एक बार ठंड के मौसम में ट्रेन में सफर कर रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक शख्स ठंड में ठिठुर रहा है।
उसके पास न तो ओढ़ने को कंबल था और न ही पैरों में पहनने को चप्पल। तब अरविंद ने उसे अपनी चप्पल दे दी थी। फिर उन्हें एहसास हुआ कि देश में और भी कई गरीब हैं जो इसी तरह रहते हैं। बस तभी उन्होंने सोच लिया कि वह जीवन में गरीबों के लिए कुछ जरूर करेंगे।