भारत में सरकारी व्यवस्था के आने से पूर्व राजाओं और बादशाहों का राज हुआ करता था। इसमें कई मुगल शासक भी शामिल थे। मुगलों ने भारत पर लगभग सन 1526 से 1707 तक राज किया। इसमें बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब जैसे मुगल बादशाह शामिल हैं।
इन मुगलों के नवाबी ठाठ बाट हुआ करते थे। इनका महल बहुत राजसी होता था। साथ ही एक बादशाह की कई बेगम और दासियां भी होती थी। बादशाह इन सभी के साथ ‘मुगल हरम’ (mughal harem) में रूबरू होते थे। इस मुगल हरम के अंदर का नजारा और किस्से बड़े ही रोचक हुआ करते थे।
मुगल हरम मूल रूप से एक शाही कमरा होता था। इस कमरे में बादशाह की बेगम और खास करीबी महिलाएं रहती थी। ये महिलाएं उनकी दासी, दोस्त या रखेल भी हो सकती थी। हरम एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है ‘छिपी हुआ जगह’। यह एक सीक्रेट रूम होता था जहां बादशाह अपनी खास महिलाओं को रखते थे।
इस हरम के हर कौने में रंगीन रोशनी होती थी। सुंदर पर्दे लटके होते थे। दीवान पर मखमली चादर बिछाई जाती थी। कमरे में 24 घंटे इत्र की खुशबू आती थी। जहां नजरें घुमाओं वहां श्रृंगार की हुईं शाही महिलाएं दिखती थी। यहाँ हर उम्र की महिलाएं होती थी। इसमें कमसिन युवतियां भी शामिल थी। बादशाह यहां मुस्लिम के अलावा हिंदू महिलाओं को भी रखते थे।
मुगल हरम के अंदर किसी भी अनजान शख्स और मर्दों को जाने की इजाजत नहीं होती थी। सिर्फ बादशाह वहां जा सकते थे। वह जब भी यहां जाते तो अपने कपड़े उतारकर हल्के होते। कोई उनके पैरों की मसाज करता तो कोई उनका बदन सहलाता। मुगल बादशाह यहां अपनी रातें रंगीन करते थे।
हरम में राजा के लिए जाम भी बनाए जाते थे। उनका मूड हो तो नाच गाना भी होता था। किसी भी रानी या रखेल की बादशाह के आदेश को टालने की हिम्मत नहीं होती थी। एक बार कोई महिला हरम में घुस जाए तो बिना बादशाह की अनुमति के बाहर नहीं जाती थी। वह बादशाह के अलावा किसी के साथ भी रात नहीं बिताती थी।
इस हरम में पुरुषों के प्रवेश पर प्रतिबंद होता था। इसलिए महिलाओं की सुरक्षा और देखरेख के लिए किन्नरों को नियुक्त किया जाता था। किन्नर होने की वजह से वह राजा की रानियों पर गंदी नजर नहीं डालते थे। हरम बनवाने की परंपरा बादशाह बाबर ने शुरू की थी। फिर अकबर और जहांगीर के शासन में ये चरम पर पहुँच गई। लेकिन औरंगजेब के शासन तक ये परंपरा खत्म हो गई।