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सब्जी छोड़ इन फूलों की शुरू की खेती, मालामाल हो गया है 29 साल का यह किसान

अन्य ख़बरे Published by: Paliwalwani Updated Tue, 04 Apr 2023 09:41 AM
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नई दिल्‍ली: खेती को एक उद्यम मान 29 साल के किसान विक्रांत ठाकुर खेती में नई-नई चीजों के साथ प्रयोग करते हैं। उससे मुनाफा कमाने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्रामों में हिस्‍सा लेते हैं। इसका उन्‍हें जबर्दस्‍त फायदा मिला है। विक्रांत ने पहले अपने खेत में आलू उगाना बंद किया। फिर धीरे-धीरे गोभी, मटर और प्‍याज को अलविदा कर दिया। सब्‍जी उगाने के बजाय उन्‍होंने फ्लोरिकल्‍चर पर ध्‍यान देना शुरू किया। अपने खेतों में आज वह जमकर ट्यूलिप उगा कर तगड़ा मुनाफा कमा रहे है। उन्‍हें कमाई का बेहतरीन जरिया मिल गया है। वह हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्‍पीति जिले के मुदग्रान गांव के रहने वाले हैं।

विक्रांत कहते है कि आप सब्जियां बेचकर ज्‍यादा से ज्‍यादा कितना कमा लेंगे। यही कोई 20-25 रुपये किलो। वहीं, फूलों से कहीं ज्‍यादा आमदनी की जा सकती है। इसके लिए केमिकल या फर्टिलाइजर की भी जरूरत नहीं है। इन्‍हें रोग भी नहीं लगता है। एक बार लग जाने के बाद ज्‍यादा मेहनत भी नहीं है। अटल टनल की शुरुआत होने के बाद ट्रांसपोर्टेशन भी सस्‍ता हुआ है। गाजियाबाद फूल मंडी में उन्‍हें एक ट्यूलिप स्टिक का 100 रुपये मिल जाता है। इस साल ठाकुर ने ट्यूलिप के 40,000 बल्‍ब बोए हैं। जून में इनकी कटाई होगी। ठाकुर बताते हैं कि राजधानी में बेमौसम ट्यूलिप और ओरियंटल लिलीज की सप्‍लाई लाहौल से होती है। इसके अलावा पालमपुर, कश्‍मीर, मेघालय में भी बिक्री की जाती है। हर साल ट्यूलिप की मांग बढ़ती जा रही है।

ठाकुर 20 किसानों के बैच में से एक हैं जिन्होंने ट्यूलिप उगाने की ट्रेनिंग ली है। यह ट्रेनिंग उन्‍हें काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च और इंस्‍टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्‍नोलॉजी यानी सीएसआईआर-आईएचबीटी से मिली है।

ट्यूलिप आयात करने की नहीं पड़ेगी जरूरत

विक्रांत को उम्‍मीद है कि एक दिन आएगा जब भारत को नीदरलैंड से ट्यूलिप आयात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। नीदरलैंड दुनिया में ट्यूलिप का सबसे बड़ा उत्‍पादक और निर्यातक है। मार्च में जब जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक हुई, उस दौरान नीदरलैंड से करीब 1.3 लाख ट्यूलिप बल्‍ब की खरीद हुई। इन्‍हें एनडीएमसी के इलाकों में लगाया गया है। फरवरी के मध्‍य तक ये खिल जाएंगे। अगले सीजन में 5 लाख और ट्यूलिप बल्‍ब मंगाकर लगाने की योजना है। इस महत्‍वाकांक्षी कवायद में स्‍थानीय आपूर्तिकर्ताओं को प्रोत्‍साहन देने की बात हो रही है।

हर स्‍तर पर हो रहा है काम...

दिलचस्‍प यह है कि कश्‍मीर को अपने शानदार ट्यूलिप गार्डन के लिए जाना जाता है। लेकिन, यह बड़ा उत्‍पादक नहीं है। हालांकि, इस साल 19 मार्च को सिराज बाग ट्यूलिप गार्डन पब्लिक के लिए खुला है। इसके खुल जाने के बाद जम्‍मू-कश्‍मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्‍हा ने शेर-ए-कश्‍मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्‍चरल साइंसेज एंड टेक्‍नोलॉजी (SKUAST) को राज्‍य में ही ट्यूलिप उगाने पर काम करने को कहा है। इसका मकसद आयात पर निर्भरता कम करना है। नीदरलैंड से आए बल्‍ब का इस्‍तेमाल करके ट्यूलिप दोबारा उगाना एक बात है। लेकिन, इन्‍हें रोपने, उगाने और काटने इत्‍यादि की टेक्‍नोलॉजी सिर्फ नीदरलैंड के पास है। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर नीदरलैंड के साथ इंटर-गवर्नमेंटल प्रोजेक्‍ट पर काम करने की योजना बना रहे हैं। व्‍यावसायिक स्‍तर पर कश्‍मीर में ही बल्‍ब को विकसित करना इसका लक्ष्‍य है। इम्तियाज का अनुमान है कि भारत का फूल बाजार करीब 400 करोड़ रुपये का है।

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