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D-Mart के मालिक दुनिया के 100 अमीरों में हुए शामिल, नेटवर्थ 1.42 लाख करोड़, जानिए सफलता की कहानी

अन्य ख़बरे Published by: Paliwalwani Updated Thu, 19 Aug 2021 01:29 PM
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D-Mart के मालिक दुनिया के 100 अमीरों में हुए शामिल, नेटवर्थ 1.42 लाख करोड़, जानिए सफलता की कहानी
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कम भाव में ग्रॉसरी का सामान खरीदना हो तो हममें से ज्यादातर लोगों की पहली पसंद डी-मार्ट होता है। इसकी शुरुआत 2002 में मुंबई के पवई इलाके से हुई थी। आज देशभर में कंपनी के 238 स्टोर्स हैं। सफलता की कहानी गढ़ने वाली इस कंपनी को एक सफल निवेशक ने बनाया, जिन्हें शेयर बाजार के बिग बुल राकेश झुनझुनवाला भी अपना गुरु मानते हैं। लाइमलाइट से कोसों दूर रहने वाले इस बिजनेसमैन का नाम ‘राधाकिशन दमानी’ है।

 

इन्हें लोग 'RD' के नाम से भी जानते हैं। सफेद कपड़े की पसंद के चलते कई लोग इन्हें ‘मिस्टर व्हाइट एंड व्हाइट’ नाम से भी बुलाते हैं। अस्सी के दशक में शेयर बाजार में 5000 रुपए के साथ उतरे दमानी की नेटवर्थ आज 1.42 लाख करोड़ रुपए हो गई है। ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स के मुताबिक इस समय वे दुनिया के 98वें सबसे अमीर शख्स हैं।राधाकिशन दमानी अब सक्रियता से वीगन डाइट फॉलो करते हैं। साथ ही हर कुंभ में गंगा नहाने जाते हैं। बेहद सुलझे व्यक्तित्व वाले दमानी को सफेद कपड़े इसलिए पसंद हैं क्योंकि उन्हें दिन की शुरुआत में कपड़ों को लेकर उलझन न हो। कारोबार में भी इनकी यही खास बातें सबसे आगे रखती हैं। साल 2000 से पहले दमानी ने शेयर मार्केट ट्रेडिंग से दूरी बनाते हुए रिटेल कारोबार में कदम रखा।

1985-86 में पिता शिवकिशन दमानी की मौत के बाद उन्होंने घाटे में चल रहे बॉल बेयरिंग बिजनेस को बंद किया। इनके पिता शेयर ब्रोकर थे, तो बचपन से ही मार्केट की थोड़ी समझ थी। भाई गोपीकिशन दमानी के साथ मिलकर पूरा फोकस शेयर मार्केट पर किया। 5000 रुपए से निवेश की शुरुआत की और आज दुनिया के सबसे अमीरों की लिस्ट में 98वें पायदान पर पहुंच गए।

इस दौरान उन्होंने 1992 में हुए हर्षद मेहता घोटाले का दौर भी देखा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उस समय दमानी ने एक बात कही थी ‘अगर हर्षद मेहता सात दिन और अपनी लॉन्ग पोजीशन होल्ड कर लेता, तो मुझे कटोरा लेकर सड़क पर उतरना पड़ता।’ऐसा उन्होंने इसलिए बोला था क्योंकि हर्षद मेहता ने शेयर बाजार में तेजी पर दांव लगाया था, जबकि दमानी ने बाजार के गिरने पर दांव लगाया था। लेकिन घोटाले की बात सामने आते ही बाजार धड़ाम से गिरा, जिससे दमानी को जबर्दस्त प्रॉफिट हुआ।

दमानी के लिए बतौर निवेशक 1995 का साल अच्छा रहा। जहां निवेशक सरकारी बैंकों में पैसा लगा रहे थे, वहीं दमानी ने ‘सस्ते वैल्युएशन में मिलने वाली कंपनी में लंबे वक्त तक रुकने’ का फॉर्मूला अपनाते हुए HDFC बैंक के IPO में पैसा लगाया। इससे उन्होंने जमकर पैसा बनाया।1999 में उन्होंने नई मुंबई के नेरूल में अपना बाजार की एक फ्रेंचाइजी की शुरुआत की, पर उन्हें यह मॉडल जमा नहीं। आगे चलकर 2002 में मुंबई के पवई इलाके में डीमार्ट का पहला स्टोर खोला। अब देशभर में कंपनी के 238 स्टोर्स हैं।

अब अगर डीमार्ट की सफलता के फॉर्मूला को समझें तो कंपनी ने रिटेल कारोबार में न केवल लीक से हटकर अपनी पहचान बनाई है बल्कि सफलता के झंडे भी गाड़े। इसके पीछे कंपनी का सीधा सा फंडा है, मार्जिन के बजाय वॉल्यूम पर फोकस। सफलता का आलम यूं है कि कंपनी अपने सप्लायर को 7-10 दिन में पेमेंट कर देती है। जबकि इसी सेगमेंट की अन्य कंपनियां सप्लायर को 20-30 दिन में पेमेंट करती हैं। खास बात यह है कि कंपनी जहां भी अपने स्टोर्स खोलती है, वह स्टोर डीमार्ट का ही होता है। यानी स्टोर्स को किराए पर नहीं लेती।

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