भारत के मुख्य बैंकिंग रेगुलेटर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सेफ जमा लॉकर और बैंकों द्वारा दी जाने वाली सेफ कस्टडी सुविधाओं के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। आरबीआई ने 18 अगस्त को बैंकिंग और टेक्नोलॉजी में कई प्रगति, उपभोक्ता शिकायतों और विभिन्न बैंकों के साथ-साथ भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के रेस्पोंस का हवाला देते हुए यह निर्णय लिया है। आगे हम आपको नए लॉकर दिशानिर्देशों की डिटेल से जानकारी देंगे।
बैंकों के सामने ऐसी स्थितियां आती हैं जहां लॉकर किराए पर लेने वाला न तो लॉकर को मैनेज करता है और न ही उसके लिए शुल्क का भुगतान करता है। लॉकर किराए का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए, बैंक लॉकर आवंटन के समय टर्म डिपॉजिट लेने के हकदार हैं। इस राशि में तीन साल का किराया और लॉकर तोड़ने का शुल्क भी शामिल होगा।
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मगर ध्यान रहे कि बैंक उन मौजूदा लॉकर धारकों से या जिनके पास एक्टिव खाते हैं, उनसे टर्म डिपॉजिट नहीं मांगेंगे। यदि लॉकर का किराया एडवांस में लिया जाता है, तो ली गयी राशि में से उपयुक्त हिस्सा ग्राहक को वापस कर दिया जाएगा। प्राकृतिक आपदाओं जैसी आपात स्थितियों के मामले में, बैंक अपने ग्राहकों को जल्द से जल्द सूचित करने का प्रयास करेंगे।
आरबीआई के नये निर्देशों के अनुसार बैंकों को बोर्ड द्वारा पास की गयी एक पॉलिसी पेश करनी होगी। इसमें उनकी तरफ से किसी तरह की लापरवाही के कारण लॉकरों के कंटेंट को किसी भी नुकसान के लिए उनके द्वारा दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की डिटेल दी जाएगी। लॉकर की देखभाल में लॉकर सिस्टम के उचित कामकाज को सुनिश्चित करना और लॉकरों तक अनअप्रूव्ड एक्सेस से सुरक्षा करना शामिल होगा। डकैती और चोरी के मामले में पर्याप्त उपाय सुनिश्चित करना भी बैंक की जिम्मेदारी होगी।
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नए प्रावधानों के अनुसार, भूकंप, बाढ़ आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण लॉकर को किसी भी तरह के नुकसान के लिए बैंक जिम्मेदार नहीं होगा। हालांकि बैंक ऐसी आपदाओं से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उचित सुरक्षा अपनाएंगे। आरबीआई की संशोधित लॉकर नीति में कुछ और भी महत्वपूर्ण नियम शामिल किए गए हैं।
बैंक लॉकर समझौते में एक अतिरिक्त क्लॉज शामिल करेंगे जो लॉकर को किराए पर लेने वाले को उसमें कुछ भी खतरनाक चीज रखने के लिए प्रतिबंधित करेगा। बैंकिंग प्रोफेश्नल्स द्वारा धोखाधड़ी या इमारत ढहने जैसी घटनाओं के मामले में बैंकों की देनदारी वार्षिक किराए की राशि का 100 गुना निर्धारित की गई है। बता दें कि बैंक लॉकर लेते समय नॉमिनी बनाने का ऑप्शन मिलता है। लॉकर लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो बैंक लॉकर में रखा सामान को उसके उत्तराधिकारी को लेने का मौका मिलता है। बैंक लॉकर लेने वाली की मौत के बाद उस नॉमिनी को लॉकर इस्तेमाल करने का अधिकार मिलता है। फिर नॉमिनी चाहे तो बैंक लॉकर को जारी रखे या फिर उसे खाली कर दे। अगर लॉकर लेते वक्त संयुक्त नाम रखा गया है तो लॉकर पर संयुक्त नाम वाले का अधिकार होगा। इसलिए लॉकर लेते वक्त संयुक्त नाम और नॉमिनी के विकल्पों का सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए।