मुंबई : 100 करोड़ रुपए की जबरन वसूली के मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह अभी कानून की गिरफ्त से बाहर हैं। इस मामले में पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की गिरफ्तारी तो हो चुकी है, लेकिन अभी परमबीर सिंह कानून के दायरे से बाहर हैं। उनके खिलाफ पहले भी दो गैर जमानती वारंट जारी हो चुके हैं। यह तीसरा गैर जमानती वॉरंट जारी किया है। अब उनपर कानून का शिकंजा कसा जा सकता है। मंगलवार को इसी केस से जुड़े मामले में गिरफ्तार किए पुलिस इंस्पेक्टर नंदकुमार गोपाल और आशा कोर्के को मुंबई मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 7 दिन की सीआईडी रिमांड पर भेज दिया था। इन दोनों को CID ने सोमवार को गिरफ्तार किया था। ये दोनों मुंबई क्राइम ब्रांच में तैनात थे। परमबीर के खिलाफ मुंबई के मरीन ड्राइव थाने में शिकायत दर्ज की गई है।
- आपको बता दें कि 100 करोड़ रुपए के जबरन वसूली मामले बिल्डर विमल अग्रवाल ने पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह और अन्य लोगों के खिलाफ जबरन वसूली करने का आरोप लगाया था। वहीं, मुंबई का एंटीलिया केस पांच पुलिसवालों समेत कुल दस लोगों को जेल पहुंचा चुका है।
- आपको बता दें कि इस मामले में ईडी ने पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को पहले ही पुछताछ के लिया था। 7 नवंबर को अनिल देशमुख से 12 घंटे की पूछताछ के बाद अनिल देशमुख को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 2 नवंबर को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां पहले तो उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था, लेकिन बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस आदेश को रद्द करते हुए अनिल देशमुख को 12 नवंबर 2021 तक ईडी की हिरासत में भेजा।
- फिरौती और उगाही के मामले में ठाणे में केतन तन्ना द्वारा परमबीर सिंह सहित 28 लोगों पर केस दर्ज कराया था। केतन ने परमबीर पर झूठे आरोप में फंसा कर उगाही करने का आरोप लगाया था। केस के सभी 28 आरोपियों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है। मामले के कुछ आरोपी पहले से जेल में है। अन्य आरोपी विदेश न भाग जाए, इसलिए यह लुकआउट नोटिस जारी किया गया था। हालांकि, इसके बावजूद परमबीर सिंह गायब हैं। उधर, महाराष्ट्र के गृह विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, परमबीर सिंह को भगोड़ा घोषित करने की कानूनी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।