महाराष्ट्र. महाराष्ट्र सरकार में अल्प संख्यक मंत्री नवाब मलिक को 3 मार्च तक ईडी कस्टडी में भेजा गया है. प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बुधवार दोपहर नवाब मलिक को गिरफ्तार किया था. इसके बाद एनसीपी नेता की जेजे हॉस्पिटल में मेडिकल जांच कराई गई और फिर उन्हें पीएमएलए कोर्ट में पेश किया गया. जहां से उन्हें आठ दिनों की कस्टडी में भेजा गया है. ईडी की ओर से 14 दिनों की कस्टडी की मांग की गई थी लेकिन कोर्ट ने उन्हें आठ दिनों की कस्टडी सुनाई. ईडी कस्टडी में उन्हें घर का खाना मंगवाने की इजाजत दी गई है. अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम संबंधित लोगों के साथ आर्थिक लेनदेन के मामले में उन्हें हिरासत में भेजा गया है.
ईडी कस्टडी में भेजे जाने के बाद नवाब मलिक ने एक ट्वीट किया, ‘कुछ ही देर की खामोशी है, फिर शोर आएगा. तुम्हारा तो वक्त है, हमारा दौर आएगा.’ नवाब मलिक की बेटी नीलोफर मलिक ने ट्वीट कर लिखा कि उनके पिता सुपर हीरो हैं.
ईडी के पक्ष में दलील देते हुए एडिशनल सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने 14 दिन की कस्टडी की मांग की थी. उन्होंने नवाब मलिक के खिलाफ दो तरह की दलील दी. उन्होंने दाऊद इब्राहिम कनेक्शन और टेरर फंडिंग से जोड़ते हुए नवाब मलिक पर आरोप लगाए. उन्होंने इस आधार पर पीएमएलए के ऐक्ट 19 के तहत कार्रवाई की मांग की. इसके जवाब में नवाब मलिक के वकील अमित देसाई ने सारे आरोपों को ठुकराते हुए कहा कि ईडी गैर जिम्मेदार तरीके से नवाब मलिक जैसे जिम्मेदार व्यक्ति पर आरोप लगा रही है. यह कोई फिल्मी स्क्रिप्ट नहीं है. अमित देसाई ने ईडी रिमांड में गिल्टी यानी दोषी शब्द लिखे होने पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियां ही कोर्ट का काम करेंगी क्या? फिर तो कोर्ट की जरूरत ही नहीं है. अमित देसाई ने कहा कि नवाब मलिक पर मनी लॉन्ड्रिंग के जो आरोप लगाए जा रहे हैं, उस पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई?
नवाब मलिक के पक्ष में बोलते हुए अमित देसाई ने बहस के दौरान ने कहा कि बिना समन दिए नवाब मलिक को हिरासत में लिया गया. सर्च ऑपरेशन में कुछ नहीं मिला तो उन्हें पकड़ कर ईडी ऑफिस लाया गया. नवाब मलिक ने दावा किया कि उनसे समन के कागजात पर ईडी ऑफिस में हस्ताक्षर करवाए गए. डी गैंग और मलिक का कोई संबंध नहीं. बीस साल बाद संबंधित आर्थिक लेन देन पर कार्रवाई की मांग क्यों की जा रही है. नवाब मलिक ने गिरफ्तारी के बाद कोर्ट जाते हुए कार के अंदर से कार्यकर्ताओं से कहा कि डरेंगे नहीं, लड़ेंगे और जीतेंगे. ममता बनर्जी ने फोन कर शरद पवार को इस्तीफा नहीं लेने की सलाह दी.
देवेंद्र फडणवीस ने इस फैसले पर कहा कि, ‘ईडी ने कोर्ट में पूरी सत्यता सामने रखी है. करोडों रुपए की जमीन अंडरवर्ल्ड के माध्यम से नवाब मलिक ने खरीदी. जमीन की मालकिन को एक रुपया नहीं दिया गया. उनसे जमीन पॉवर ऑफ अटॉर्नी के तहत ट्रांसफर करवाई गई जिन लोगों के नाम ये जमीन ट्रांसफर की गई उनमें से एक शाह वली खान मुंबई बम ब्लास्ट का आरोपी और दूसरा सलीम पटेल डी कंपनी का आदमी है और वो दाऊद की बहन हसीना पारकर के लिए यहां रियल इस्टेट का काम देख रहा था. इस पूरी डील में हसीना पारकर को 55 लाख रुपए दिए गए. यानी देश के दुश्मन के साथ आर्थिक लेन-देन करने का कारण क्या है?’
आगे देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘ ईडी ने 9 जगहों पर सर्च किए जिससे कई लिंक्स सामने आए. उनमें से एक नवाब मलिक का भी पाया गया. इस आर्थिक व्यवहार के बाद देश में तीन बड़े विस्फोट और हमले हुए. तो हसीना पारकर को जो पैसे गए वो किस लिए गए. सीधा-सीधा टेरर फंडिंग का मामला बनता है. यह बहुत संगीन मामला है. यह राजनीतिक मामला नहीं है. देश के दुश्मन के साथ सौदा करने का मतलब क्या है? इस डील के बाद यह पैसा सीधा हसीना पारकर और दाऊद को जाता है तो कड़ी कार्रवाई होनी ही चाहिए. दाऊद ने भले ही आईएसआई की मदद से भारत में हमले करवाए, विस्फोट करवाए उसकी टेरर फंडिंग इंडिया में ही हुई. पैसे यहीं से जुटाए गए. इस तरह की डील से जुटाए गए. अफसोस तो यह है कि देश के साथ धोखा करने वालों का साथ दे रही है महाराष्ट्र सरकार.’
इस बीच, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सरकारी आवास ‘वर्षा’ पर कैबिनेट मीटिंग की गई. इस मीटिंग में यह फैसला किया गया कि नवाब मलिक का इस्तीफा नहीं लिया जाएगा. जब तक नवाब मलिक पर दोष सिद्ध नहीं हो जाता तब तक वे मंत्री बने रहेंगे. नारायण राणे को अरेस्ट किया तो इस्तीफा लिया था क्या? मंत्री छगन भुजबल ने सवाल किया. गुरुवार को महा विकास आघाड़ी के नेता और कार्यकर्ता मुंबई मेें मंत्रालय के बाहर महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने निषेध करने के जमा होंगे. शुक्रवार को इस मामले को लेकर राज्य भर में महा विकास आघाडी के कार्यकर्ता धरना, प्रदर्शन और मोर्चा निकालेंगे.