स्वास्थ्य, आरटीओ सहित करीब 45 विभागों के कर्मचारियों की हड़ताल के बाद अब बिजलीकर्मी विद्युत सुधार विधेयक 2021 के विरोध में उतर आए हैं। मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने अपनी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर शनिवार को बिजली संबंधी कामों का बहिष्कार कर दिया है। बिजलीकर्मियों के हड़ताल से शहर में किसी भी प्रकार से बिजली संबंधी काम नहीं होंगे। अस्पताला की बिजली को छोड़कर शहर में कहीं भी बिजली सुधार नहीं किया जाएगा। उनका कहना है कि शासन ने समय रहते संयुक्त मोर्चा की मांगों को हल नहीं किया तो 13 अगस्त से वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। समस्य का समाधान नहीं होने से उन्होंने पूरे प्रदेश को ब्लैक आउट करने की तैयारी कर ली है।
17 संगठनों ने मिलकर बने संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष जीके वैष्णव ने बताया कि केन्द्र सरकार निजी कंपनियों को निजीकरण करने का बिल पास करने जा रही है। वे एक रुपए में प्रदेश का अरबों रुपयों की परिसंपत्तियों को निज क्षेत्र में देने का प्रस्ताव है। इसके कारण बिजलीकर्मियों के साथ-साथ जनता को भी महंगी बिजली और शासन द्वारा समय-समय पर जो छूट का फायदा मिलता है, उससे वंचित होना पड़ेगा। इसी बात का संयुक्त मोर्चा विरोध कर रहा है। इस बिल को लेकर राष्ट्र में बिजलीकर्मी आंदोलनरत हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस संसदीय सत्र में निजीकरण का बिल पास होता है तो पूरे देश में अंधेरा छा सकता है।
माेर्चा का कहना है कि शनिवार को हम किसी भी प्रकार से बिजली संबंधी काम नहीं करेंगे। सिर्फ अस्पताल में ही यदि कोई समस्या आती है तो हम उसे ठीक करेंगे। इसके अलावा यदि कहीं पर करंट फैलता है तो जान-माल के नुकसान को देखते हुए वहां पर कर्मचारी पहुंचेंगे। हालांकि वे सिर्फ वहां की बिजली को बंद करेंगे। किसी भी प्रकार से सुधार नहीं करेंगे।