मध्यप्रदेश. गर्मी की छुट्टियों में ट्रेनों पर यात्रियों का दबाव काफी बढ़ा हुआ है। ग्वालियर से गुजरने वाली लंबी दूरी की ज्यादातर ट्रेनों में 20 जून तक क्षमता से 40 फीसदी तक ज्यादा टिकट बुक हैं। यात्रा के दिन तक वेटिंग टिकटों में बमुश्किल पांच से सात फीसद टिकट भी कंफर्म नहीं हो पा रहे हैं। इसके चलते वेटिंग टिकट वाले यात्री कोच में सीटों के नीचे फर्श पर बैठकर और गैलरी में लेटकर यात्रा करते नजर आ रहे हैं। कई तो टायलेट में खड़े-खड़े यात्रा करने को मजबूर रहे।
ग्वालियर से होकर रोजाना अप व डाउन ट्रैक पर औसतन 110 से 120 ट्रेनें गुजरती हैं। लंबी दूरी की ज्यादातर ट्रेनों में स्लीपर के मुकाबले एसी कोच ज्यादा हैं। ग्वालियर से रोजाना औसतन 40 से 45 हजार यात्री आते-जाते हैं। छुट्टियों का सीजन शुरू होने के साथ मई के पहले सप्ताह से ही ट्रेनों में भीड़ बढ़ने लगी थी। अब हालात ये हैं कि सामान्य कोच को छोड़ भी दें तो आरक्षित स्लीपर कोचों में भी भीड़ के कारण यात्रियों का चढ़ना मुश्किल हो रहा है। कंफर्म टिकट के अलावा ज्यादातर यात्री वेटिंग टिकट के होने के कारण उनको कोच से उतारा भी नहीं जा सकता। लंबी दूरी की कई ट्रेनों में जुलाई के पहले सप्ताह तक वेटिंग आ रही है।
रेलवे को वेटिंग टिकटों से खूब कमाई हो रही है। अगर कोई यात्री वेटिंग टिकट को निरस्त कराता है तो उसको मिलने वाले रिफंड में रेलवे कटौती करता है। स्लीपर क्लास में 60 और एसी श्रेणी में 70 रुपये तक कटौती के बाद यात्री को रिफंड दिया जाता है। काउंटर टिकट निरस्त कराने के लिए लाइन में लगने के स्थान पर यात्री वेटिंग टिकट पर ही कोच में भारी भीड़ के बीच यात्रा करने के लिए मजबूर होते हैं।
इस कारण महिलाओं और बच्चों को ज्यादा समस्या होती है। लंबी दूरी की ज्यादातर 22 कोच की ट्रेन में स्लीपर श्रेणी के 10 से 12 कोच होते हैं। एक स्लीपर कोच में 72 सीट होती हैं। वर्तमान में स्लीपर कोच में 200-250 तक वेटिंग टिकट जारी किए जा रहे हैं। इसी तरह एसी थ्री में 100, एसी टू में 50 और फर्स्ट एसी में 20 तक वेटिंग टिकट जारी किए जा रहे हैं।