वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक दुनियाभर के सभी सेंट्रल बैंक आर्थिक उठापटक के मद्देनजर सोने की खरीदारी करने में जुटे रहे तो आरबीआई भी इसमें पीचे नहीं रहा. 2022 में दुनियाभर के सेंट्ल बैंकों ने 1136 टन सोने की खरीदारी की है जो 1967 के बाद सबसे ज्यादा है.
1991 में जब भारत के पास आयात के लिए विदेशी मुद्रा नहीं था तब भारत को 2.2 बिलियन डॉलर कर्ज लेने के लिए अपने 67 टन सोने को गिरवी रखना पड़ा था. तात्कालीन केंद्र सरकार ने ये फैसला लिया था. लेकिन वो तस्वीर बदल चुकी है. भारत ने गिरवी रखे सोने को तो छुड़ाया ही लेकिन आज दुनिया के कुल रिजर्व का 8 फीसदी सोना आरबीआई के पास है.
कोरोना महामारी के चलते वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और फिर बढ़ती महंगाई के बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने सोने की जमकर खरीदारी की है. आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2020 से लेकर मार्च 2023 के बीच में आरबीआई ने 137.19 टन सोने की खरीदारी की है. केवल तीन वर्ष में आरबीआई के गोल्ड रिजर्व में 79 फीसदी का उछाल आया है.
इस अवधि में दुनिया के सभी सेंट्रल बैंकों ने सोने की खरीदारी की है. इस बीते तीन वर्ष में 137 टन से ज्यादा सोने की खरीदारी करने के बाद सोने के रिजर्व के मामले में दुनिया के सभी सेंट्रल बैंकों में आरबीआई आठवें नंबर पर जा पहुंचा है. मार्च 2020 में आरबीआई के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का रिजर्व का हिस्सा 6 फीसदी था जो बढ़कर 7.85 फीसदी के करीब जा पहुंचा है. आरबीआई के पास सोने का रिजर्व बढ़ाकर 790 टन से ज्यादा हो चुका है.
मार्च 2019 तक आरबीआई के पास कुल 612.56 टन, मार्च 2020 में 653 टन, मार्च 2021 में 695.31 टन, मार्च 2022 कुल 760.42 टन सोने का रिजर्व था और अब ये 790 टन से ज्यादा हो चुका है. यानि एक साल में आरबीआई ने 30 टन से ज्यादा सोने की खरीदारी की है. चार सालों में आरबीआई ने 178 टन सोने की खरीदारी की है.
वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता के माहौल में जब जोखिम ज्यादा नजर आ रहा है तो हेजिंग के लिए सोने में निवेश बढ़ जाता है. ऐसे में सोना क्रॉस बार्डर करेंसी की भी भूमिका अदा करता है. सेंट्रल बैंक जब ज्यादा करेंसी छापती है तो उसे सपोर्ट करने के लिए सोने का रिजर्व बढ़ाना जरुरी हो जाता है. विदेशी करेंसी से ज्यादा विश्वसनीयता सोने की होती है इसलिए ऐसे हालात में सेंट्रल बैंक सोने की खरीदारी को बढ़ा देते हैं.