इंदौर : परमार्थ निकेतन एवं माता ललितादेवी सेवाश्रम ट्रस्ट ऋषिकेश (उत्तराखंड) द्वारा गंगा किनारे आयोजित नारी संसद में ‘भारतीय नारी – घर और बाहर’ विषय पर रविवार 9 अक्टूबर को आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व चैतन्य भारत मातृशक्ति संगठन प्रभारी श्रीमती सरस्वती पेंढारकर ने किया।
प्रख्यात चिंतक, राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक और नर्मदा परिक्रमा यात्रा करने वाले के.एन. गोविंदाचार्यजी के मार्गदर्शन में श्रीमती पेंढारकर ने नारी स्वतंत्रता पर ओजस्वी विचार व्यक्त किए, जिसकी सराहना नारी संसद में आई उत्तरप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, केरल के राज्यपाल अनीस मोहम्मद खान, केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल आदि ने की।
अपने उदबोधन में श्रीमती पेंढारकर ने विभिन्न श्लोकों एवं गीता और अन्य धर्मग्रंथों के हवाले से नारी की महत्ता को प्रभावी ढंग से प्रतिपादित किया। उन्होंने कहा कि आज महिला आरक्षण की बात करने वाले लोगों के मन में नारी के प्रति सम्मान कम और सहानुभूति ज्यादा नजर आती है। महिला और पुरुष में कोई तुलना होनी ही नहीं चाहिए। जब नारी शक्ति स्वरूपा है तो नारी सशक्तिकरण जैसा शब्द किसी मान्यता को प्राप्त नहीं कर सकता। नारी सशक्तिकरण की बात करने वाले लोग केवल श्रेय लेना चाहते हैं।
प्रारंभ में कार्यक्रम संयोजक एवं ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती एवं अन्य पदाधिकारियों ने श्रीमती पेंढारकर का स्वागत किया। नारी संसद में देश की कुल 100 विदुषी महिलाओं को आमंत्रित किया गया था, जिनमें मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व एकमात्र पेंढारकर ने किया।