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मध्य प्रदेश मराठी साहित्य सम्मेलन का समापन गीत संगीत की सुरीली प्रस्तुतियों के साथ हुआ

इंदौर Published by: Paliwalwani Updated Tue, 16 Nov 2021 02:30 AM
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इंदौर : मुक्त संवाद साहित्यिक समिति के ग्यारहवें म.प्र मराठी साहित्य संमेलन का समापन गीत संगीत की सुरीली प्रस्तुतियों के साथ हुआ. तीन दिवसीय सम्मेलन के अंतिम दिन मराठी भाषा को लेकर कार्यशाला भी रखी गई.

15 सौ वर्ष पुराना है मराठी भाषा का इतिहास : साहित्य सम्मेलन के अंतिम दिन सुबह के सत्र में ‘शुद्ध मराठी भाषेमध्ये अभिव्यक्ति’ इस विषय पर आयोजित कार्यशाला में पुणे के माधव राजगुरु ने मराठी भाषा को लेकर कई जानकारियां दी. आपने बताया कि पशु पक्षियों की नकल पहली भाषा बनी. मराठी भाषा के इतिहास के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि मराठी भाषा का इतिहास 1500 वर्ष पुराना है. मराठी में एक लाख से ज्यादा शब्द हैं. विदेशी और भारतीय भाषाओं के भी शब्द इसमें शामिल हैं. कार्यशाला में माधव राजगुरु ने सामान्य रुप से जो तकनीकि गलतियां लिखने में होती हैं, उसके बारे में भी बताया. हिन्दी और मराठी में वर्तनी में किस तरह का अंतर होता है, इसकी भी जानकारी दी. कार्यशाला में ग्वालियर, भोपाल, उज्जैन, बुरहानपुर के मराठी समाज के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

तोच चंद्रमा नभात : मराठी साहित्य सम्मेलन के अंतिम दिन रविवार शाम ख्यात मराठी कवयित्री शातांबाई शेळके की जन्मशताब्दी पर उनके गीतों की प्रस्तुतियां स्थानीय कलाकारों द्वारा दी गई. कार्यक्रम में बालगीतों से लेकर हर तरह के गीतों की प्रस्तुतियां गौतम काळे, वैशाली बकोरे, अनुजा वाळुंजकर,गुरुषा दुबे, सीमा भिसे और सलिल दाते, ने दी। कार्यक्रम में यह संयोग ही रहा कि मुंबई से इंदौर घूमने के लिए आई गायिका मृदुला जोशी भी कार्यक्रम में उपस्थित रही. उन्होंने एक प्रस्तुति भी दी. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत कला अकादमी के निदेशक जयंत भिसे थे. इस अवसर पर मराठी साहित्य सम्मेलन की संरक्षक स्मिता भारद्वाज भी उपस्थित रहीं. कार्यक्रम का संचालन सुषमा जोशी ने किया. आभार मोहन रेडगांवकर ने माना.

सावरकर परिवार की महिलाओं पर विचारोत्तजक व्याख्यान  : इसके पूर्व ग्यारहवें मराठी साहित्य सम्मेलन में दूसरे दिन याने शनिवार को नागपुर की डॉ.शुभा साठे ने ‘त्या तिघी- सावरकर घराण्यातील वीर स्त्रिया’ विषय पर व्याख्यान दिया. उन्होंने बताया कि यशुबाई, यमुनाबाई और शांताबाई के त्याग की असल बातें आजादी के 75 वे वर्ष में सामने आना ही चाहिए. डॉ.शुभा साठे ने बताया कि सावरकर परिवार के पुरुषों के साथ ही महिलाओं ने भी बराबरी का त्याग किया है. स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं ने भी समान रुप से भाग लिया परंतु इतिहास में उन्हें जगह नहीं दी गई है. सावरकर परिवार के त्याग और बलिदान की गाथाएं हर बच्चे को बताई जाना चाहिए. इस दौरान नाट्यछटा स्पर्धा के पुरस्कार भी वितरित किए गए. जिसमें संजीव दिघे, वैशाली फड़के, श्रेया वेरुळकर, सुजाता जोग, भव्या लांभाते, युक्ती नाईक, नवस्तुती पैठणे, आकाश दातार, कृतिका मुळे, हंसिका करंबेळकर, अबीर पहुरकर, मान्यता तेलंग, मेत्रेयी किरकिरे, आदित्य चोळकर, लायना निमगांवकर, प्रज्ञेश फड़के, स्वरा केलकर अक्षता, प्रिया बक्षी, राजीव किल्लेदार व दर्शना चिकोडीकर को पुरस्कार व प्रमाण पत्र वितरित किए. मराठी साहित्य सम्मेलन के पहले दिन मराठी हास्य- व्यंग्य कवि सम्मेलन भी रखा गया था. जिसमें महाराष्ट्र से आए कवि अशोक नायगांवकर, अरुण म्हात्रे और स्थानीय कवियों ने अपनी कविताएं पेश की.

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