राजेश उषा शर्मा...✍️
इंदौर
सात बार नंबर वन का खिताब जीतने वाले शहर का चप्पा चप्पा जलमग्न...मैदान, सड़कें, थाने, घर, गली, चौराहे, मोहल्ले, दुकानें, अपार्टमेंट्स के तलघर...सब जगह पानी ही पानी...शहर की जर्जर दुर्दशा पर रोते और सड़ी-गली व्यव्यस्था को कोसना यही शरवासियों के भाग्य में लिखा है...!
मात्र चार इंच बरसने पे ही सड़के तालाब की शक्ल ले चुकी है...ऐसी बेहाली, ऐसी दुर्दशा है, ये बद्तर स्तिथि है...राम जाने रात - भर ऐसे ही मेघ बरस जाए तो क्या होगा इस अहिल्यानगरी का...??
निगम प्रशासन की उदासीनता, गैरजिम्मेदारी, ढीलापन सब खुलकर सामने आ गया...विकास के नाम पर, स्मार्ट सिटी के नाम पर संपूर्ण शहर को खोद रखा है...व्यवस्थाएं चरमरा गई है...काबिल तथा योग्य अफसर की व्यवस्थाएं फुस्स हो गई...बड़े-बड़े दावे जुमले ही साबित हुए, ऐसा लगता है, शहर लावारिस है...ये महानगर नही मात्र तहसील है...ये शहर महानगर नही, बल्कि टेपा है...
चेंबर सफाई और नाली सफाई के बाद कचरा गंदगी उठाने का तो कोई रिवाज ही नही बचा, या तो गंदगी और कचरा एक दो दिन में सुखकर आस - पास बिखर जाएगा, उड़ जाएगा या फिर नाली में पुनः चला जाएगा...जानलेवा गड्ढों से शहर पटा पड़ा है...वाहनों का आपस में गुत्थम-गुत्था होना, भिड़ना, फिसला, गिरना, दुर्घटनाग्रस्त होना, हाथ पैर टूटना बरसों से आम बात है और उसमे कोई सुधार ही नही है...एंबुलेंस या कोई इमरजेंसी में वाहन चालक तो पूर्ण रूप से राम-भरोसे ही है...
समय पर हॉस्पिटल पहुंच जाए, इलाज मिल जाए तो सौभाग्य ही माना जाएगा... काली कमाई, भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड तोड़ने वाली निगम ने शायद अपनी सारी जिम्मेदारी ताक पर रख दी है... खिताबी तारीखों के इर्द गिर्द ही झांकी मंडप जमाकर खिताब लेना बखूबी आता है...बाकी सब राम-भरोसे ही है...
कुंभकर्ण की नींद में सोए विपक्षी दल से भी कोई उम्मीद नहीं है...सीएम के पसंदीदा शहर, कबीना मंत्री, आधे दर्जन वरिष्ठ विधायकगण के बावजूद ऐसी नारकीय स्तिथि बेहद अफसोसजनक, खेदजनक और चिंतनीय है...