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indoremeripehchan : इंदौर में कुत्ते के काटने और एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने के बावजूद व्यक्ति की हुई मौत

इंदौर Published by: indoremeripehchan.in Updated Tue, 09 Sep 2025 12:35 AM
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इंदौर.

मध्यप्रदेश में खंडवा-खरगोन के अलावा अन्य जिलों से कुत्ते के काटने और एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने के बावजूद मौत होने के मामले लगातार सामने आए, अब इंदौर में भी ऐसा ही दुःखद घटना हुई, जिसमें एक व्यक्ति को कुत्ते के काटने के बाद एंटी रेबीज इंजेक्शन के तीन डोज लगवाए, बावजूद इसके उसकी मौत हो गई.

खबरों के अनुसार, जिस व्यक्ति की मौत हुई वह जूनी इंदौर निवासी 45 वर्षीय गोविंद पेवाल था. परिजन बताते हैं कि गोविंद तीन महीने पहले घर के बाहर सोया था, उसी दौरान एक कुत्ते ने उसे चेहरे और होंठ पर काट लिया. अगले दिन परिजन उसे सरकारी हुकुमचंद अस्पताल लेकर पहुंचे और डॉक्टरों ने ड्रेसिंग करते हुए एंटी रेबीज का डोज भी लगाया.

गोविंद को अलग-अलग अंतराल में एंटी रेबीज के तीन इंजेक्शन लग चुके थे और सिर्फ दो डोज देना बाकी थे. इसके पहले ही उसकी हालत अचानक बिगड़ी और वह पानी से दूर भागने के साथ हवा तक से घबराने लगा. इतना ही नहीं, वह आक्रामक भी होने लगा. उसकी हालत बिगड़ती देख गोविंद को एमवायएच में भर्ती कराया गया. आज जब वह पागलपन की स्थिति में था तब उसकी पत्नी ने गोविंद को जैसे-तेसे संभाला और गले लगाकर गाना सुनाती रही... गाना सुनते-सुनते ही गोविंद ने कुछ देर में दम तोड़ दिया.

गोविंद मजदूरी करता था और उसका एक बेटा अजय है, यह भी दुःखद है कि गोविंद का मकान कच्चा था और लगातार हो रही बारिश से उसे मजबूरी में बाहर सोना पड़ा और कुत्ते ने ऐसा हमला किया कि गोविंद की जान ही चली गई. इस बारे में डॉक्टरों का कहना है कि गोविंद पर रेबीज का गहरा असर हो गया था, जिस वजह से उसकी जान गई...!

पति के अंतिम संस्कार के लिए भटकती रही पत्नी

इंदौर में कुत्ते के काटने से गोविंद पैवाल नामक व्यक्ति की मौत हो गई। गोविंद लंबे समय से रेबीज से पीड़ित थे। डॉक्टरों ने पहले ही उनकी स्थिति गंभीर बताते हुए बचने की संभावना कम बताई थी। इसके बावजूद उनकी पत्नी संगीता ने एमवाय अस्पताल के आइसोलेटेड यूनिट में उनकी सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ी।

परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब

गोविंद पैवाल का परिवार ब्रिज के नीचे रहता है और बेहद गरीब है। पहले गोविंद नगर निगम के ठेकेदार के अधीन काम करते थे और बेलदारी से भी गुजर-बसर करते थे। परिवार में दो बेटे और एक बेटी है। बेटी की शादी हो चुकी है, लेकिन घर का खर्च बमुश्किल चल रहा था। रोजमर्रा का भोजन भी परिवार के लिए चुनौती है।

एनजीओ ने उठाया अंतिम संस्कार का खर्च

गोविंद की मौत के बाद परिवार के पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं थे। इस बीच एक एनजीओ मदद के लिए आगे आया। एनजीओ ने मुफ्त शव वाहन उपलब्ध कराया और अंतिम संस्कार का पूरा इंतजाम किया। बेटे अजय ने पिता की चिता को मुखाग्नि दी और फिर परिवार को ब्रिज के नीचे सुरक्षित छोड़ अन्य इंतजाम में जुट गया।

प्रशासन की जिम्मेदारी पर उठे सवाल

इस घटना ने नगर निगम और हुकुमचंद अस्पताल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने और डॉग बाइट रोकने के लिए नसबंदी अभियान चलाया जाए। इंदौर में अभियान तो चला, लेकिन डॉग बाइट के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पहले भी हाईकोर्ट में इस पर जनहित याचिकाएं दायर हो चुकी हैं।

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