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एम वाय अस्पताल में नवजात आदिवासी बालिका की चूहों द्वारा उंगलियाँ खा जाने से दुखद मृत्यु पर न्याय की मांग : नाराज 'जयस' अब करेगा आंदोलन

इंदौर Published by: sunil paliwal-Anil Bagora Updated Tue, 09 Sep 2025 12:19 AM
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चूहों द्वारा नवजातों की उंगलियां खाने से हुई मृत्यु के मामले में डीन और अधीक्षक पर नहीं हुई कार्रवाई...

इंदौर. जयस राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट लोकेश मुजाल्दा के नेतृत्व में जयस संगठन ने प्रखर नाराजगी व्यक्त करते हुए बताया कि एमवाय अस्पताल की नर्सरी आईसीयू में एक नवजात आदिवासी बालिका की दाहिने हाथ की चारों उंगलियाँ चूहा द्वारा खा जाने के कारण दर्दनाक मृत्यु हो गई।

इस अमानवीय घटना की दिल दहला देने वाली तस्वीरें मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक हो गईं, जिसने पूरे समाज को झकझोर दिया है। अस्पताल प्रशासन द्वारा इस मासूम आदिवासी बच्ची के शव को लावारिस बताकर जलाने का षड्यंत्र किया जा रहा था। जयस कार्यकर्ताओं ने माता-पिता को अस्पताल के सामने लाकर खड़ा कर दिया और जोरदार संघर्ष के बाद तीन मुख्य मांगो को लेकर लिखित मांग की गई।

1. डीन और अस्पताल अधीक्षक निलंबित किया जाय.

2. डीन और अस्पताल अधीक्षक और जिम्मेदारों पर एफआईआर दर्ज की जाए.

3. जिला कलेक्टर द्वारा बालिका के परिजनों को सहायता राशि प्रदान की गई,

  • परंतु डीन एवं अस्पताल अधीक्षक के निलंबन प्रस्ताव की प्रतिलिपि और एफआईआर की प्रति इंदौर जिला प्रशासन से चर्चा करने पर भी आज शाम 6:00 बजे तक जयस को उपलब्ध नहीं कराई गई। 
  • इसके कारण जयस संगठन द्वारा वृहद आंदोलन की तैयारी की जा रही है।
  • जयस को विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के माध्यम से यह ज्ञात हुआ है कि 
  • उच्च अधिकारी डीन और अधीक्षक को बचाने में लगे है।
  • बिना पेस्ट कंट्रोल के सत्यापन के डीन ने एजेंसी को 11 करोड़ का भुगतान कर दिया।
  • डीन ने पिछले 06 महिने में आउटसोर्स एजेंसी कंपनी को 11 करोड़ का भुगतान किया।  

डीन ने पेस्ट कंट्रोल के कार्य का सत्यापन नही कराया गया और  समय- समय पर पेस्ट कंट्रोल नही होने से अस्पताल में  चूहों का प्रकोप बढ़ गया और चूहें एमवाय अस्पताल की दूसरी मंजिल पर स्थित एनआईसीयू तक पहुँच गए और 02 मासूम नवजात बच्चों के अंगों को चूहे खा गए जिससे दोनों बच्चियों की दुःखद मृत्यु हुई। मीडिया में एनआईसीयू में चूहों के कुतरने की खबर आने के बाद से ही डीन बचाव और लीपापोती में लग गए थे। डीन ने पूरे प्रकरण को अपने हाथ मे ले लिया था।

डीन द्वारा खुद को बचाने के लिए की  कवायद की गई

1. अज्ञात होने की बात मीडिया में फैलाई-डीन ने चूहों के कुतरने की खबर आने के बाद धार के जिला अस्पताल से रेफर हुये बेबी ऑफ मंजू बच्चे के अज्ञात होने की बात मीडिया में फैलाई गई।

2. पोस्टमार्टम में नवजात की दिल की बिमारी से मृत्यु का झूठ फैलाया- नवजात की मृत्यु के बाद 2 सितंबर को बच्चे के पोस्टमॉर्टम में दिल की बीमारी से मौत का कारण फैला दिया और जिला प्रशासन को गुमराह किया गया जबकि 2 सितंबर को पोस्टमार्टम हुआ ही नही था ।

3. पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी नहीं कराई-संवेदनशील प्रकरणों में पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी अनिवार्य होती है परंतु साक्ष्य को प्रभावित करने के उद्देश्य से डीन ने पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी करने के निर्देश नही दिए गए ।

4. दूसरे नवजात का बिना पोस्टमॉर्टम के शव सौंपा - देवास के दूसरे बच्चे के परिजनों को बिना पोस्टमॉर्टम के शव सौंप दिया गया। जबकि डीन को इस संवेदनशील घटना मे पोस्टमॉर्टम अनिवार्य रूप से कराना था | डीन द्वारा प्रकरण साक्ष्य और तथ्यों को प्रभावित करने  के लिए दूसरे बच्चे का पोस्टमॉर्टम नही कराया गया। 

5. जाँच दल और निरीक्षण को प्रभावित करने का प्रयास किया गया - स्वास्थ्य आयुक्त तरुण राठी और गठित जाँच समिति अध्यक्ष डॉ. भरसट के संयुक्त निरीक्षण के दौरान डीन पूरे समय साथ रहे और भोजन भी किया । डीन द्वारा जाँच को प्रभावित करने का प्रयास किया गया । 

6. पेस्ट कंट्रोल और साफ़- सफाई की जिम्मेदारी दूसरों पर डाली गई - डीन द्वारा स्वयं की पेस्ट कंट्रोल के कार्य की जिम्मेदारी दूसरों पर डालते बिना किसी आधार छोटे कर्मचारियों की सस्पेंड किया गया जिनका कि पेस्ट कंट्रोल से ताल्लुकात नहीं था।  जिनका काम इलाज है उनकी पेस्ट कंट्रोल कार्य के लिए जिम्मेदारी तय की जा रही हैं 

7. एजेंसी पर पूरा ठीकरा फोड़ा जा रहा है-जबकि मॉनिटरिंग कर भुगतान की जिम्मेदारी डीन की है। इतनी घोर लापरवाही के बाजूद सरकार मौन है।

जयस यह स्पष्ट कर देना चाहता है कि यदि मध्य प्रदेश शासन द्वारा सोमवार शाम तक उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो न्याय की इस लड़ाई में जयस एवं आदिवासी समाज व्यापक आंदोलन करेंगे, जिसकी पूरी जवाबदारी मुख्यमंत्री जी की होगी।

 

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