इंदौर :
खंडेलवाल ने बताया कि बाणगंगा से चढ़ने वाले रेलवे फ्रूट ब्रिज का काम ठेकेदार 2016 में बीच में छोड़ गया था तब इसको वापिस से लाकर फ्रूट ब्रिज का काम पूरा कराया जिसके कारण आज बाणगंगा से चढ़ने वाले लोग को आसानी हुई।
खंडेलवाल ने बताया कि लगातार सात वर्षों के मेराथन प्रयासों के बावजूद अब तक रेलवे मंत्रालय ने इस मांग की ओर ध्यान नहीं दिया है, इसलिए अब इसे जन चेतना अभियान और जन समर्थन नाम दिया गया है। यह ऐसा अभियान होगा, जिसे वे अपनी मांग पूरी होने तक चलाएंगे। सभी तरह के प्रयासों में विफल रहने के बाद खंडेलवाल ने इसे अंतिम विकल्प बताया है। उन्होंने अपनी इस मांग के समर्थन में लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन से जुड़े क्षेत्रों की 700 कालोनियों की सूची भी तैयार की है, जिसमें बाणगंगा, कुशवाह नगर, संगम नगर, एयरपोर्ट रोड, मरीमाता, राजनगर, नगीन नगर, मल्हारगंज, बड़ा गणपति, परदेशीपुरा, नंदानगर, क्लर्क कालोनी, विजय नगर, स्कीम 78, स्कीम 54 एवं स्किम 74 से लेकर सांवेर रोड और सांवेर शहर तक के रहवासी एवं उज्जैन जाने वाले यात्रियों को भी शामिल किया है, क्योंकि उज्जैन जाने वाले लोग एमआर-4 से आसानी से पहुंच सकेंगे।
मध्य इंदौर शहर में यातायात का दबाव निरंतर बढ़ता जा रहा है। रेलवे स्टेशन के पास सियागंज, सरवटे बस स्टैंड, शास्त्री ब्रिज एवं आसपास के क्षेत्रों में रेलों के आवागमन के समय हमेशा जाम लगा रहता है। यदि बनारस, बैंगलुरू, भोपाल एवं अन्य शहरों की तरह इंदौर में भी दो रेलवे स्टेशन बन जाएं और वहां सभी ट्रेनों के स्टापेज बना दिए जाएं तो देश के सबसे स्वच्छ शहर पर लगा यातायात जाम वाले शहर का लांछन मिट सकता है। लक्ष्मीबाई नगर को स्टापेज बनाने से इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे और होटल व्यवसाय, पर्यटन, रिक्शा, टैक्सी, बस तथा अन्य व्यवसायों को भी मदद मिलेगी और यात्री सुविधाएं भी मिल सकेंगी।
खंडेलवाल ने अपने पत्र में कहा है कि वर्तमान इंदौर जंक्शन रेलवे स्टेशन होल्कर कालीन युग में करीब 100 वर्ष पूर्व स्थापित हुआ था। तब शहर की आबादी 25 हजार भी नहीं थी। आज शहर की आबादी 40 लाख के करीब पहुंच चुकी है। नई बसाहट शहर के चारों और 20 किलोमीटर तक बढ़ गई है। लक्ष्मीबाई स्टेशन के आसपास दस किलोमीटर तक शहर फैल गया है। लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन पर पर्याप्त प्लेटफार्म की जगह भी उपलब्ध है और रेलवे स्टेशन विस्तार की संभावनाएं भी यहां मौजूद हैं।
उन्होंने अपने रेलवे सदस्य कार्यकाल के दौरान भी सभी बैठकों में प्रमुखता से यह मांग उठाई है और तब रेलवे के महाप्रबंधक से लेकर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एवं तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी आश्वस्त किया था कि इस मांग को जरूर पूरा किया जाएगा, उस समय के झोनल रेलवे सलाहकार समिति के सदस्यों अजीतसिंह नारंग, ईश्वर बाहेती, जगमोहन वर्मा एवं राकेश अग्रवाल द्वारा स्वयं के व्यय से बंबई और दिल्ली की आधा दर्जन से अधिक यात्राओं और रेलवे अफसरों से मुलाकात के बावजूद अब तक इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की गई है। निरंतर प्रयासों के बावजूद रेलवे के बड़े अधिकारियों ने अब तक कोई सुनवाई नहीं की है, जबकि अनेकों बार अपनी इस मांग के समर्थन में रेलवे के लगभग सभी स्तर के अधिकारियों का ध्यानाकर्षण किया जा चुका है।
खंडेलवाल ने बताया कि दिल्ली में निजामुद्दीन, बाम्बे में बोरीवली, अहमदाबाद में मणिनगर, बैंगलुरू में यशवंतपुर, जयपुर में गांधीनगर, भोपाल में हबीबगंज एवं वर्तमान में रानी कमलापति स्टेशन पर स्टापेज बनाए गए हैं, लेकिन केवल इंदौर के साथ ही ऐसा सौतेला बर्ताव किया जा रहा है, जो शहर की हर तरह की प्रगति को पीछे धकेल रहा है। अपनी इस मांग के समर्थन में शहर के आम नागरिकों, प्रबुद्धजनों और जन प्रतिनिधियों से सहयोग का आग्रह किया है। इस दिशा में पहले चरण में सभी जन प्रतिनिधि, समाजों के पदाधिकारी, संत महात्मा और अन्य अधिकारियों, कर्मचारियों के पास पहुंचकर जन चेतना अभियान के लिए समर्थन की गुहार की जाएगी और जन सहयोग से इस मांग को पूरा कराने हेतु पुरजोर प्रयास किए जाएंगे।