इंदौर. (विनोद गोयल...) गीताभवन के सत्संग सभागृह एवं परिसर में पहली बार अष्टोत्तरशत भागवत की स्थापना की गई है, जहां प्रतिदिन सैंकड़ों श्रद्धालु आकर पितृपक्ष में भागवत पूजन और पारायण का पुण्य लाभ उठा रहे हैं. इसके साथ ही वृंदावन के महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद के सानिध्य में इंदौर की बेटी साध्वी कृष्णानंद के श्री मुख से भागवत कथामृत की वर्षा भी हो रही हैं. भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी गीताभवन पहुंच कर भागवत पारायण कर रहे विद्वानों का सम्मान कर व्यासपीठ का पूजन कर कथा श्रवण का भी लाभ लिया. साध्वी कृष्णानंद ने कहा कि मनुष्य का परमधर्म परमात्मा की प्राप्ति है. जिस दिन हम अपनी दृष्टि में परमात्मा की अनुभुति करेंगे और प्राणी मात्र में परमात्मा के दर्शन करना शुरू कर देंगे, सारे झंझट दूर हो जाएंगे.
गीताभवन में गुरूवार से प्रारंभ हुए इस दिव्य अनुष्ठान में अग्रवाल समाज के लगभग सभी प्रमुख समासेवजी बंधु तो भागीदार बने ही है, अन्य समाजों के लोग भी यहां आ कर विद्वान ब्राहम्णों द्वारा किए जा रहे भागवत के मूल पाठ का लाभ ले रहे हैं. गीताभवन में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में भागवत पोथी पूजन एवं पारायण का आयोजन हो रहा है. वरिष्ठ समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, गीताभवन ट्रस्ट के अध्यक्ष गोपालदास मित्तल, टीकमचंद गर्ग, रामविलास राठी, गणेश गोयल, बालकृष्ण छाबछरिया, दीपचंद मोमबत्ती, अरविंद नागपाल, श्याम गर्ग मोमबत्ती सहित संस्था अग्रश्री कपल्स ग्रुप के पदाधिकारी भी इस आयोजन में शामिल हो रहे हैं. भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी गीताभवन पहुंच कर व्यासपीठ का पूजन किया वहीं कथा श्रवण का पुण्यलाभी भी लिया. उन्होने भागवत पारायण कर रहे, विद्वानों का सम्मान भी किया. भाजपा प्रवक्ता दीपक जैन टीनू ने भी आचार्यों का पूजन किया. पितृपक्ष में इस तरह का दिव्य और शास्त्रोक्त आयोजन अब तक शहर में कहीं और नहीं होने से अनेक साधक यहां पहुंच कर पुण्य लाभ ले रहे हैं. भागवत पूजन प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से और भागवत कथा दोपहर 3 : 30 से सांय 7 : 00 बजे तक हो रही है.
प्रवचन-साध्वी कृष्णानंद ने कहा कि भागवत में कल्याणकारी चिंतन है जिसमें प्राणी मात्र और समूचे समाज के लिए उपदेश और संदेश दिए गए हैं. भारत भूमि शास्त्रों और धर्म ग्रंथों से भरपूर है. जिन्हे पढ़ने में ही सारी जिंदगी निकल जाती है, समझने की बात तो दूर की है. परमात्मा को प्राप्त करने के लिए तीन बातें महत्वपूर्ण मानी गई है. पहली, परमात्मा से प्रीति या प्रेम, दूसरी नीति के मार्ग पर चलना और तीसरी, संसार से धीरे-धीरे विरक्त होना. मनुष्य की जैस जैसे उम्र बढ़ती है, उसकी ममता भी बढ़ती जाती है. मोह और माया के वशीभूत हो कर मनुष्य परमात्मा से दूरी बनाते जाता है. हमारी दृष्टि में पवित्रता तभी आ सकती है, जब हम जीव मात्र में परमात्मा के दर्शन करना शुरू कर दें. ममता के कारण हम परमात्मा से विमुख हो जाते हैं. जिस दिन हमारी दृष्टि में भगवान के दर्शन होना शुरू हो जाएंगे. हमें किसी और की जरूरत ही नहीं रहेगी. यह दृष्टि सहज रूप से नहीं मिलेगी. क्योकिं हम जो भक्ति करते हैं उसमें या तो लोभ होता है या भय. परमात्मा से हमारा प्रेम निश्चल और निस्वार्थ होना चाहिए. कथा शुभारंभ के पूर्व अग्रश्री कपल्स गुप की ओर से स्वाति-राजेश मंगल, शीतल- रवि अग्रवाल, बालकृष्ण छाबछरिया, किरण अतुल बंसल, राजकिरण-राजेंद्र समाधान आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया.