काफी समय से सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया को बेचने की कोशिशें हो रही थीं। आखिरकार वो दिन भी आ गया जब एयर इंडिया को किसी ने खरीद लिया। सूत्रों के अनुसार इसे खरीदने वाली कंपनी कोई और नहीं बल्कि देश की कंपनी टाटा संस है। नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक सब कुछ बनाने वाले टाटा ग्रुप के हाथ में अब एयर इंडिया की कमान भी पहुंच चुकी है। इसी के साथ 67 सालों के बाद एयर इंडिया की टाटा ग्रुप में घर वापसी हो गई है। टाटा संस ने 15 सितंबर को एयर इंडिया को खरीदने के लिए अपनी फाइनल बोली लगाई थी। हालांकि, अभी इसकी कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। वहीं दीपम (Department of Investment and Public Asset Management) ने कहा है कि मीडिया रिपोर्ट्स में एयर इंडिया के निजीकरण की मंजूरी पर जो भी कहा जा रहा है वह गलत है। मीडिया को सरकार की तरफ से सूचना दी जाएगी, जब सरकार कोई फैसला लेगी।
एयर इंडिया के लिए स्पाइसजेट के प्रमोट अजय सिंह ने भी बोली लगाई थी, लेकिन सरकारी सूत्रों ने कनफर्म किया है कि टाटा संस ने एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए सबसे ऊंची बोली लगाई है। यह खबर उस रिपोर्ट के अगले ही दिन आ गई है, जिसमें कहा गया था कि सरकार ने एयरलाइन के लिए मिनिमम रिजर्व प्राइस फाइनल कर लिया है। सरकार ने मिनिमम रिजर्व प्राइस का फैसला भविष्य के कैश फ्लो प्रोजेक्शन, ब्रांड वैल्यू और विदेशी एयरपोर्ट्स पर उपलब्ध स्लॉट के आधार पर किया है।
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सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार टाटा संस ने एयर इंडिया के लिए 3000 करोड़ रुपये की बोली लगाई है, जो सरकार की तरफ से तय किए गए मिनिमम रिजर्व प्राइस से अधिक है। तमाम रिपोर्ट ने भी यह संकेत दिए थे कि एयर इंडिया के अधिग्रहण में टाटा संस सबसे आगे है। एयर इंडिया के पूर्व डायरेक्टर जितेंद्र भार्गव ने हाल ही में ब्लूमबर्ग टीवी को बताया कि टाटा ग्रुप को सरकार की तरफ से हरी झंडी मिल सकती है, क्योंकि उनके पास ही यह क्षमता है कि वह बड़ी मात्रा में पैसा लगाकर घाटे में चल रही इस सरकारी एयरलाइन को उबार सकें। उन्होंने कहा कि टाटा भी एयर इंडिया को खरीदने को लेकर काफी उत्साहित है।
एक टॉप एग्जिक्युटिव से मिली सूचना के अनुसार टाटा ने एयर इंडिया को खरीदने के लिए ऊंची बोली सिर्फ इसलिए लगाई है, क्योंकि यह एक नेशनल असेट है। नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक सब कुछ बनाने वाले टाटा ग्रुप ने अपनी बोली में एक क्षतिपूर्ति की शर्त भी रखी है, ताकि अगर भविष्य में कोई क्लेम आता है तो उससे निपटा जा सके। इस प्रक्रिया में टाटा ग्रुप के करीब 200 कर्मचारी लगे हुए हैं, जिनमें एम&ए स्पेशलिस्ट शामिल हैं, जो विस्तारा, एयरएशिया इंडिया, टाटा स्टील और इंडियन होटल्स से हैं। बता दें कि टाटा ग्रुप अपने पूरे एयरलाइन बिजनस को एक साथ मिलाने की योजना भी बना रहा है।