आंसू शरीर में कई महत्वपूर्ण भूमिका (vital role) निभाते हैं. वे आपकी आंखों में जरूरी नमी बनाए रखते हैं और पार्टिकल्स-धूल को धोने में मदद करते हैं. आंसू इम्यून सिस्टम (immune system) का भी एक हिस्सा हैं जो आपको संक्रमण से बचाते हैं. आंसू पलकों की त्वचा (eyelid skin) के नीचे की ग्रंथियों में बनते हैं, जिनमें पानी और नमक होता है. जब आप पलक झपकाते हैं तो आंसू आंख में फैल जाते हैं, जिससे आंखों में नमी बनी रहती है. अन्य ग्रंथियां तेल का उत्पादन करती हैं जो आंसू को बहुत तेजी से वाष्पित होने या आपकी आंखों से बाहर निकलने से रोकती हैं.
आंसू आमतौर पर आंसू नलिकाओं के माध्यम से निकलते हैं और फिर वाष्पित हो जाते हैं. लेकिन जब किसी को बहुत अधिक आंसू निकलते हैं तो वे आंसू नलिकाओं को दबा देते हैं और आंखों में अधिक पानी आने का कारण बनते हैं. आंखों में पानी आना, जिसे एपिफोरा या टियरिंग (Epiphora or tearing) के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लगातार आंखों में से आंसू या पानी आता रहता है. पानी आने पर अगर कोई आंख को जोर से रगड़ता है तो उसकी आंख लाल भी हो जाती है.
अधिकांश मामलों में आंखों से पानी आना बिना इलाज के बंद हो जाता है, लेकिन कभी-कभी ऐसी स्थिति भी होती हैं जिनके कारण लगातार आंखों से पानी आता रहता है. यह काफी कॉमन समस्या है. अगर आपके आंखों से लंबे समय से पानी आ रहा है और आंखें लाल हो रही हैं तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए. लगातार आंखों में आंसू आने के कुछ कारण हो सकते हैं. तो आइए उन कारणों के बारे में भी जान लीजिए जो आंखों में अधिक पानी या आंसू आने का कारण बनते है.
अगर किसी की आंख में पर्याप्त आंसू नहीं बन रहे हैं तो आंख जल्दी सूख जाती है. ऐसे में आंख में पानी, तेल का सही बैलेंस नहीं बन पाता. हवा से लेकर मेडिकल कंडीशन तक इस स्थिति का कारण हो सकता है. इसलिए कभी-कभी आंख अचानक से अधिक पानी निकालकर आंख सूखने का संकेत देती है.
बच्चों और वयस्कों दोनों की आंखों में पानी आने का यह एक सामान्य कारण है. इस स्थिति में आंख गुलाबी या लाल हो सकती हैं और उनमें खुजली-चुभन भी महसूस हो सकती है. बैक्टीरिया या वायरस से संक्रमण पिंकआई का सबसे अहम कारण है. वायरल संक्रमण के लिए उपचार की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन इसके लिए एंटीबायोटिक आई ड्रॉप की आवश्यकता हो सकती है.
पानी भरी हुई, खुजली वाली आंखें अक्सर खांसी, बहती नाक और अन्य एलर्जी के लक्षणों के साथ आती हैं. लेकिन किसी कारण से आंखों की एलर्जी होना भी काफी आम बात है. इसलिए आंखों की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें.
आंसू आंख के ऊपर की आंसू ग्रंथियों से बाहर निकलते हैं. ग्रंथियों से निकलने के बाद आंसू पुतली की सतह पर फैलते हैं और कोने में बनी नलिकाओं में चले जाते हैं. अगर ये नलिकाएं बंद हो जाती हैं तो आंसू बनते तो हैं लेकिन बाहर नहीं निकल पाते. बहुत सी चीजें समस्या का कारण बन सकती हैं जैसे संक्रमण, चोट, यहां तक कि बुढ़ापा भी.
हमारी पलकें विंडशील्ड वाइपर की तरह काम करती हैं. जब हम पलक झपकाते हैं तो वे आंखों में आंसू फैलाती हैं और जो अतिरिक्त नमी को बहा देती हैं. लेकिन कभी-कभी वे ठीक से काम नहीं कर पातीं. पलकें अगर अंदर की तरफ झुक जाती हैं तो उनके कारण आंंख की पुतली में रगड़ आने लगती है, जिसे एन्ट्रोपियन कहा जाता है. इसके कारण आंखों से पानी आने लगता है. यदि आपकी पलकें अंदर की ओर झुकी हुई हैं, तो इसके लिए सर्जरी की जरूरत हो सकती है.
गंदगी, धूल और कॉन्टैक्ट लेंस से पुतली और कॉर्निया में खरोंच लग सकती है. यदि ऐसा होता है तो आंखों में से पानी आने लगता है क्योंकि यह काफी संवेदनशील हिस्सा होता है. हालांकि, ये खरोंच आमतौर पर 1 या 2 दिनों में ठीक हो जाती है. अगर आपको कॉर्नियल खरोंच हो तो डॉक्टर को दिखना महत्वपूर्ण हो जाता है.
जिस तरह भौहों के बाल गलत दिशा में बढ़ते हैं, उसी तरह कभी-कभी आईलैशेस भी गलत दिशा में बढ़ सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो वे आंखों में रगड़ का कारण बनते हैं और उनसे आंसू आने लगते हैं.
यह स्थिति आपकी पलकों में सूजन का कारण बनती है. इस स्थिति में आँखों में चुभन होती है, पानी आता है, आंखें लाल होती हैं, पपड़ी बनने लगती है. इसका कारण एलर्जी और संक्रमण हो सकता है.
बेल्स पाल्सी, सोजोग्रेन सिंड्रोम, क्रोनिक साइनस इन्फेक्शन, थायरॉइड की समस्या और रुमेटीइड आर्थराइटिस जैसी कई मेडिकल कंडीशन के कारण आंख में से पानी आ सकता है. अगर आपकी आंखों में से बार-बार पानी आता है तो डॉक्टर से मिलें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करते है.)