आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया, ‘भारत में 18-45 वर्ष की आयु के वयस्कों में अचानक होने वाली मौतों से जुड़े कारक - एक बहुकेंद्रित मिलान मामले-नियंत्रण अध्ययन’ शीर्षक से अध्ययन सहकर्मियों की समीक्षा के अधीन है और अभी तक प्रकाशित नहीं हुआ है. उनका कहना है कि यह अध्ययन इस महीने की शुरुआत में पूरा हुआ है.
आईसीएमआर अध्ययन का हवाला देते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने रविवार को गुजरात के भावनगर में कहा कि जो लोग गंभीर कोविड बीमारी का सामना कर चुके हैं, उन्हें दिल के दौरे और हृदयाघात से बचने के लिए एक या दो साल तक अत्यअधिक मेहनत नहीं करनी चाहिए.
सूत्रों ने बताया कि भारत में स्वस्थ युवा वयस्कों में अचानक होने वाली मौतों की खबरों ने अनुसंधानकर्ताओं को रिसर्च करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने बताया कि इन मौतों ने आशंका पैदा कर दी कि ये मौतें कोविड-19 या बीमारी के खिलाफ टीकाकरण से संबंधित हो सकती हैं. यह अध्ययन भारत में स्वस्थ युवा वयस्कों के बीच अचानक अस्पष्ट कारणों से मौतों के कारकों की जांच करने के लिए किया गया था.
अध्ययन में 18-45 वर्ष की आयु के स्पष्ट रूप से स्वस्थ व्यक्तियों की रिपोर्ट शामिल की गई जिन्हें कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं थी. इनकी एक अक्टूबर, 2021 और 31 मार्च, 2023 के बीच अस्पष्ट कारणों से अचानक मृत्यु हो गई थी.
सूत्रों ने बताया कि प्रत्येक मामले के लिए, आयु, लिंग और इलाके के आधार पर चार अन्य लोगों को मिलान के लिए चुना गया.
अनुसंधानकर्ताओं ने 729 (मौत के)मामलों और 2,916 नियंत्रण अध्ययन के लिए शामिल लोगों को नामांकित किया और दोनों के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी एकत्र की, जैसे उनका चिकित्सा इतिहास, धूम्रपान, शराब का उपयोग और तीव्र शारीरिक गतिविधि जैसे व्यवहार, क्या वे कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती हुए थे और क्या उन्हें कोई टीका लगाया गया था.
अध्ययन के मुताबिक, ‘कोविड-19 टीकाकरण से भारत में युवा वयस्कों में आकस्मिक मृत्यु का जोखिम नहीं बढ़ा बल्कि टीके से वयस्कों में आकस्मिक मौत होने का खतरा कम हुआ.
(इनपुट - भाषा)