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पेशाब में बदलाव किडनी में खराबी का पहला इशारा, शुरुआत में दिखते हैं ये 5 लक्षण, तुरंत करें पहचान वरना हो सकता है डायलिसिस या ट्रांसप्लांट

स्वास्थ्य Published by: Paliwalwani Updated Fri, 04 Jul 2025 01:27 PM
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किडनी में होने वाली परेशानियां साइलेंट किलर हैं जो रातों रात पैदा नहीं होती।  खराब डाइट और बिगड़ता लाइफस्टाइल किडनी से जुड़ी बीमारियों का कारण बनता है। किडनी से जुड़ी बीमारियों की बात करें तो किडनी स्टोन होना, किडनी में खराबी होना, किडनी में सूजन होना,नेफ्रोटिक सिंड्रोम जिसमें किडनी से बहुत ज्यादा मात्रा मेंयूरिन के ज़रिए बाहर निकलता है।  यूटीआई से जुड़ा किडनी इंफेक्शन और  पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज ऐसी परेशानियां है जो सालों में पनपती हैं जो साइलेंट किलर हैं। किडनी से जुड़ी सभी बीमारियों में सबसे पहले जो बदलाव आता है वो है यूरिन में बदलाव होना। क्योंकि किडनी का मुख्य काम ही शरीर से अपशिष्ट को यूरीन के ज़रिए बाहर निकालना है, इसलिए जब किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित होती है तो इसका असर सबसे पहले यूरिन पर ही पड़ता है।

किडनी की कुछ भी बीमारी होती है तो यूरीन का रंग हल्का गुलाबी, गाढ़ा पीला, भूरा या झागदार पेशाब आता है। कुछ परेशानियों में यूरिन मेंआने पर उसका रंग गुलाबी या लाल रंग दिखाई देता है। किडनी में परेशानी होने पर पेशाब में जलन,पेशाब में झाग, पेशाब की मात्रा में कमी या वृद्धि हो सकती है।

हेल्थलाइन के मुताबिक किडनी में खराबी के शुरुआती संकेत अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं जो आगे जाकर परेशानी का कारण बनता है। क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ (CKD) शुरुआत में चुपचाप बढ़ता हैं, लेकिन अगर शुरुआती चेतावनी संकेतों को समय रहते पहचान लिया जाए तो इस रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है। आइए जानते हैं कि किडनी में खराबी होने पर बॉडी में कौन-कौन से बदलाव दिखते हैं।

लगातार थकान और कमजोरी होना

किडनी में खराबी होने पर ब्लड में टॉक्सिन जमा होने लगते हैं जिससे बॉडी में एनर्जी के स्तर पर असर पड़ता है। जब किडनी पर्याप्त मात्रा में एरिथ्रोपोएटिन (एक ऐसा हार्मोन जो लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण को उत्तेजित करता है) नहीं बना पाती तो एनीमिया हो जाता है। एनीमिया बॉडी में खून की कमी है जिसकी वजह से इंसान हमेशा थकान महसूस करता है। किडनी से जुड़ी परेशानी होने पर मानसिक सेहत भी प्रभावित होती है। एकाग्रता में कमी होने लगती है और चलने फिरने में सांस तेजी से फूलने लगता है। अगर सही समय पर बीमारी के लक्षणों को पहचान लिया जाए तो डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की नौबत नहीं आएगी।

पेशाब की आदतों में बदलाव किडनी डिजीज

किडनी की बीमारी की शुरुआत होने पर अक्सर पेशाब की मात्रा, रंग या रूप में बदलाव होता है जिसे लोग गंभीरता से नहीं लेते। रात में बार-बार पेशाब आना,  झागदार पेशाब,पेशाब में खून,पेशाब का बहुत गहरा रंग ये सब किडनी की खराबी के संकेत हो सकते हैं। इन्हें नजरअंदाज करना बीमारी को बढ़ने का मौका देता है।

पैरों, टखनों या चेहरे पर सूजन होना

जब किडनी शरीर से अतिरिक्त सोडियम और तरल बाहर नहीं निकाल पाती तो सूजन(एडिमा) हो जाती है। ये सूजन खासकर पैरों, टखनों और आंखों के आसपास होती है। अक्सर लोग इसे गलत खानपान या ज्यादा देर खड़े रहने की वजह मानते हैं, लेकिन यह किडनी फेल होने का संकेत हो सकता है। समय रहते जांच और पहचान करना जरूरी है।

लगातार खुजली और स्किन में बदलाव होना

किडनी की खराबी एक ऐसी बीमारी है जिसे बहुत आसानी से पकड़ा नहीं जाता लेकिन इसके कुछ लक्षणों को समझकर टेस्ट करा लें तो जल्दी ही बीमारी का पता लगा सकते हैं। लगातार स्किन में खुजली होना किडनी की खराबी का संकेत है। स्किन में खुजली खून में जमे विषैले पदार्थ और कैल्शियम-फास्फोरस जैसे खनिजों का असंतुलन होने के कारण होती है। अगर आपकी स्किन रूखी,परतदार हो जाए और बिना किसी स्किन एलर्जी या बीमारी के खुजली बनी रहे तो इसे हल्के में न लें बल्कि किडनी की जांच जरूरी कराएं।

भूख नहीं लगना, मुंह में धातु जैसा स्वाद या मतली

जब किडनी ठीक से काम नहीं करती तो शरीर में यूरेमिक टॉक्सिन्स जमा होने लगते हैं जिससे मुंह में धातु जैसा स्वाद, सांस में बदबू, मतली और भूख कम लगने की दिक्कत होती है। अक्सर इन्हें पाचन से जुड़ी समस्या समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिससे सही इलाज में देरी हो जाती है। बॉडी में होने वाले इन बदलाव को नजरअंदाज नहीं करें और तुरंत इलाज करें।

पूरी जानकारी हासिल करने के लिए लिंक पर क्लिक करें।

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