आशा आयुर्वेदा की आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि हार्ट में ब्लॉकेज की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन ज्यादातर 30 साल की उम्र के बाद ही लोगों को होती है। कई मामलों में देखा जाता है कि शुरुवात में लोग हार्ट में ब्लॉकेज होने की खबर सुनकर पर लोग बहुत घबराने लगते हैं। दरअसल यह ऐसी बीमारी है जिसमें घबराने की नहीं, बल्कि समझदारी से इलाज कराने की जरूरत होती है।
डॉ. चंचल कहती है कि क्या आपको मालूम है कि ऐलोपैथी के अलावा आयुर्वेदिक पद्धति में भी हार्ट ब्लॉकेज खोलने का इलाज मौजूद है। ज्यादातर बदलती जीवनशैली, आरामपरस्ती और कोलेस्ट्रोल युक्त भोजन का अधिक सेवन करने से नसों में खून की जमावत से हार्ट में ब्लॉकेज की समस्या उत्पन्न हो सकती है। ज्यादातर लोगों को तनाव के कारण शरीर में टॉक्सिन एएमए जमा हो जाता है, जो धमनियों में जाकर उन्हें ब्लॉक कर देता है। इसे साफ करने के लिए आयुर्वेद में कई उपचारों के अलावा, हमारे पास प्रकृति के उपहार के रूप में कई प्राकृतिक औषधियाँ हैं जो एएमए को दूर करती हैं और हमें स्वस्थ रखती हैं।
दालचीनी में ऑक्सीडाइजिंग एजेंट होते हैं और यह शरीर से खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करके दिल को मजबूत बनाता है। इसका नियमित सेवन से दिल को मजबूती मिलने के साथ साथ सांस की तकलीफ दूर होती है और यह औषधि दिल को होने वाली बीमारियों को भी कम करती हैं।
इसके अलावा डॉ. चंचल बताती है कि हार्ट ब्लॉकेज को खत्म करने के लिए कई जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे अनार, लाल मिर्च, हल्दी, नींबू, अदरक, त्रिफला आदि। आप हार्ट के ब्लॉकेज का सामान्य उपचार आयुर्वेदिक पंचकर्म से भी किया जा सकता है। पंचकर्म एक प्राचीन आयुर्वेदिक तंत्र है, जिसका उपयोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किया जाता है। हार्ट ब्लॉक की समस्या ना हो, इसके लिए आपका खानपान और जीवनशैली में बदलाव करना बेहद जरुरी है। आपको इस बात का ध्यान भी देना है कि तनाव कम करना, पर्याप्त आराम करने, ध्रूमपान और शराब के सेवन से बचना चाहिए जो हार्ट के ब्लॉकेज को बढ़ा सकते हैं। यकीन माने आपके एक बदलाव से आप अपने स्वस्थ को और बेहतर बना सकते हैं।