मई 2022 का महीना पूरा होने वाला है और जल्द ही जून 2022 शुरू हो जाएगा. इस बार जून की शुरुआत से ही कई बड़े बदलाव होने वाले हैं. ये बदलाव आपकी जिंदगी पर और आपकी जेब पर प्रत्यक्ष रूप से असर डालेंगे. हर महीने की शुरुआत से कोई न कोई बदलाव होता है, जो आपके ऊपर सीधा असर डालते हैं.
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देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की तरफ से होम लोन के लिए एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR) बढ़कर 7.05 फीसदी हो गई है. रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) भी 0.40 प्रतिशत बढ़कर 6.65 प्रतिशत हो गया है. एसबीआई की ऑफिशिय वेबसाइट के अनुसार बढ़ी हुई ब्याज दरें 1 जून से लागू हो जाएंगी.
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सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक 1 जून से कार और बाइक का इंश्योरेंस महंगा हो जाएगा. केंद्र सरकार की तरफ से थर्ड पार्टी मोटर व्हीकल इंश्योरेंस के प्रीमियम में बढ़ोतरी की गई है. सरकार के इस फैसले के बाद आपको कार की इंजन क्षमता के हिसाब से प्रीमियम देना होगा. उदाहरण के लिए अब 1000 cc इंजन क्षमता वाली कारों का इंश्योरेंस प्रीमियम 2,094 रुपये होगा. दोपहिया वाहनों के इंश्योरेंस प्रीमियम में भी 1 जून से इजाफा हो जाएगा.
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1 जून से गोल्ड हॉलमार्किंग का दूसरा चरण लागू हो रहा है. इस बदलाव के साथ ही पुराने 256 जिलों और 32 अन्य जिलों में हॉलमार्किंग सेंटर्स शुरू होंगे. इसके बाद नए-पुराने 288 जिलों में हॉलमार्किंग जरूरी हो जाएगी और ज्वैलर को हॉलमार्किंग ज्वैलरी ही बेचनी होगी. इन जिलों में 1 जून से हॉलमार्किंग स्टैंडर्ड के मुताबिक 14, 18, 20, 22, 23 और 24 कैरेट के गहनों की बिक्री हो सकेगी. यानी अब बिना हॉलमार्किंग सोना बेचना संभव नहीं होगा.
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एक्सिस बैंक ने ग्रामीण और शहरी इलाकों के लिए एवरेज मंथली बैलेंस की लिमिट 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दी है. बैंक की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में सेविंग्स / सैलरी अकाउंट के टैरिफ स्ट्रक्चर में 1 जून, 2022 से बदलाव किया जा रहा है. ऑटो डेबिट सक्सेस नहीं होने पर लगने वाली पेनाल्टी भी बढ़ा दी गई है. एक्सिस बैंक के ग्राहक यदि अकाउंट में मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं कर पाते तो पहले से ज्यादा सर्विस चार्ज देना होगा.
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पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश के कई राज्यों में फ्री मिलने वाले गेहूं का कोटा घटा दिया गया है. यूपी, बिहार और केरल में 1 जून से अब 3 किलो गेहूं और 2 किलो चावल की जगह 5 किलो चावल ही मिलेगा. यह फैसला गेहूं की कम खरीद होने के चलते लिया गया है. कुछ राज्यों को पहले की ही तरह गेहूं मिलता रहेगा और यहां राशन वितरण पर कोई असर नहीं पड़ेगा.