नई दिल्ली. राहुल गांधी ने वायनाड सीट छोड़ दी है, यहां से अब उनकी बहन प्रियंका गांधी चुनावी मैदान में उतरेंगीं. प्रियंका के अब तक के सियासी सफर में ऐसा पहली बार होगा जब वह खुद चुनावी रण में होंगीं. बेशक प्रियंका गांधी ने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन ये खूबी उन्हें विरासत में मिली है. ज्यादातर लोग भी उनमें दादी इंदिरा गांधी का ही अक्स देखते हैं.
प्रियंका गांधी वायनाड से चुनावी डेब्यू करने जा रही हैं. राहुल गांधी ने रायबरेली से सांसद रहने के फैसले के साथ ही इस बात का भी ऐलान कर दिया. शायद प्रियंका गांधी के चुनावी राजनीति में एंट्री के लिए कांग्रेस ऐसे ही किसी मौके का इंतजार कर रही थी. राहुल गांधी ने रायबरेली का होकर पारिवारिक सीट अपने पास रखी तो प्रियंका के नाम की पेशकश कर वायनाड से बने पारिवारिक संबंध भी कायम रखे. यही वजह है कि राहुल गांधी के वायनाड छोड़ने से ज्यादा चर्चा प्रियंका के चुनावी मैदान में उतरने की है.
कांग्रेस को सारथी बन संभालने वाली प्रियंका गांधी वायनाड से पहली बार चुनावी योद्धा बनने जा रही हैं. बेशक प्रियंका गांधी ने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन यह खूबी उन्हें विरासत में मिली है. प्रियंका गांधी को पसंद करने वाले लोग उनमें इंदिरा गांधी की छवि देखते हैं. प्रियंका के भाषण देने की शैली काफी हद तक लोगों को इंदिरा गांधी की याद भी दिलाती है. यही वजह है कि 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही लगातार कांग्रेस के अंदर प्रियंका को राजनीति में लाने की मांग होने लगी थी.
2019 में प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान दी गई. प्रियंका गांधी सक्रिय राजनीति में उतरीं और खुद को साबित किया. 2020 सितंबर में कांग्रेस ने उनका प्रमोशन किया. अब प्रियंका पर पूरे उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी थी. प्रियंका लगातार जमीन पर सक्रिय रहीं. लोगों के साथ भावनात्मक जुड़ाव के साथ-साथ वह कांग्रेस की जड़ों को मजबूती देने का काम करती रहीं. 2021 में वह उस समय सबसे ज्यादा चर्चा में आईं थीं जब लखीमपुर में किसान हत्याकांड के पीड़ितों से मुलाकात करने के दौरान उन्हें हिरासत में लिया गया था.
प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति में एंट्री 2019 में हुई थी, जब उन्होंने पूर्वी उत्तर प्रदेश का महासचिव बनाया गया था. हालांकि प्रियंका गांधी पर्दे के पीछे 2004 से सक्रिय थीं. वह लगातार चुनाव प्रचार में अपनी मां सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ नजर आती थीं. 2007 में जब राहुल ने यूपी में कांग्रेस के अभियान को लीड किया तो प्रियंका ने रायबरेली और अमेठी की 10 सीटों पर चुनावी अभियान को संभाला था. लंबे समय तक प्रियंका गांधी रायबरेली और अमेठी में सक्रिय रहीं और यहां से एक भावनात्मक जुड़ाव कायम किया. इसीलिए एक बारगी तो अमेठी से ही प्रियंका गांधी के लिए आवाज उठने लगी थीं, एक नारा तक दिया गया था ‘अमेठी का डंका-बिटिया प्रियंका’.