नई दिल्ली :
कुछ संगठनों द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विरोधी ताकतों के बीच एकजुटता को मजबूत करने के लिए नेतृत्व करने के आग्रह के बाद कांग्रेस अप्रैल 2023 में शीर्ष विपक्षी नेताओं की एक बैठक बुलाने वाली है। कांग्रेस के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
यह बैठक संसद के बजट सत्र के दौरान कई विपक्षी दलों द्वारा प्रदर्शित सौहार्द्र को आगे बढ़ाएगी और इसका बाहर भी विस्तार किया जाएगा। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि इस बैठक का प्रस्ताव कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा सोमवार शाम उनके आवास पर बुलाई गई विपक्षी नेताओं की बैठक में रखा गया।
सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता टी आर बालू, जनता दल (यूनाइटेड) के ललन सिंह और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक नेता सहित कुछ नेताओं ने कांग्रेस नेतृत्व से 2024 के आम चुनावों का खाका तैयार करने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्षों और शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाने का आह्वान किया।
सूरत की एक अदालत द्वारा मानहानि के मामले में दोषी ठहराए जाने और दो साल की सजा के बाद राहुल गांधी की लोकसभा से अयोग्यता के मुद्दे पर अब कुल 19 विपक्षी दल एकजुट हैं।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि 18 विपक्षी दलों ने खरगे द्वारा बुलाई गई रात्रिभोज बैठक में भाग लिया, जबकि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट ने राहुल गांधी की सावरकर विरोधी टिप्पणियों को लेकर बैठक में भाग नहीं लिया।
उन्होंने दावा किया कि शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत के मिलने और राहुल गांधी से बात करने तथा विनायक दामोदर सावरकर से संबंधित मुद्दे को सुलझाने के बाद अब वे राजी हो गए हैं। सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी ने राउत से कथित तौर पर कहा कि उनके अपने विचार हैं और कांग्रेस की अपनी विचारधारा है।
सूत्रों के मुताबिक, गांधी ने कथित तौर पर कहा कि फिलहाल जरूरत विपक्षी एकता की है और भाजपा के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट रहने की जरूरत है तथा सभी को एक दूसरे का समर्थन करना चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि खरगे के आवास पर बैठक के दौरान राहुल गांधी ने स्पष्ट कर दिया कि सभी दलों को बलिदान देने की जरूरत है, कांग्रेस कोई भी त्याग करेगी तथा वह विपक्षी एकता सुनिश्चित करने के लिए कोई भी बलिदान देने के लिए तैयार हैं।
विपक्षी दलों ने संसद के बजट सत्र के दौरान सौहार्द्र प्रदर्शित किया है जब वे भाजपा के खिलाफ लड़ाई में एक साथ रहे और दोनों सदनों में बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए हर रोज मिले।
राहुल गांधी की अयोग्यता ने तृणमूल कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और आम आदमी पार्टी (आप) जैसे उन दलों को भी एक साथ ला दिया है, जो अब तक कांग्रेस से दूरी बनाए हुए थे। सूत्रों ने कहा कि इसने विपक्षी एकता को बढ़ावा देने में मदद की है और 2024 के आम चुनावों से पहले एक मजबूत और एकजुट विपक्ष का मार्ग प्रशस्त किया है।