नई दिल्ली :
खबर के मुताबिक, शिड्यूल कॉमर्शियल बैंकों या अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पांच साल की अवधि के दौरान 7.15 लाख करोड़ रुपये की गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की वसूली भी की है। मंत्री ने कहा कि एनपीए की वसूली के लिए व्यापक कदम उठाए गए हैं, जिससे एससीबी ने पिछले पांच साल के दौरान बट्टे खाते में डाले गए लोन सहित एनपीए खातों में 7,15,507 करोड़ रुपये की कुल वसूली की है।
पिछले पांच साल में बड़ी संख्या में लंबे समय से लाखों ऐसे बैंक अकाउंट रहे जिसमें कोई ट्रांजैक्शन नहीं हो रहा है। यही वजह है कि बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान 10.57 लाख करोड़ रुपये की राशि बट्टे खाते में डाली है। खास बात यह है कि इनमें से 5.52 लाख करोड़ रुपये की राशि बड़े उद्योगों से संबंधित लोन के संदर्भ में हैं। सरकार ने मंगलवार को संसद को यह जानकारी दी। भाषा की खबर के मुताबिक, वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, शिड्यूल कॉमर्शियल बैंकों (एससीबी) ने पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान 10.57 लाख करोड़ रुपये की कुल लोन राशि बट्टे खाते में डाली है।
खबर के मुताबिक, शिड्यूल कॉमर्शियल बैंकों या अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पांच साल की अवधि के दौरान 7.15 लाख करोड़ रुपये की गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की वसूली भी की है। मंत्री ने कहा कि एनपीए की वसूली के लिए व्यापक कदम उठाए गए हैं, जिससे एससीबी ने पिछले पांच साल के दौरान बट्टे खाते में डाले गए लोन सहित एनपीए खातों में 7,15,507 करोड़ रुपये की कुल वसूली की है। एक अलग प्रश्न के उत्तर में, कराड ने कहा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान, यानी वित्त वर्ष 2018-19 से वित्त वर्ष 2022-23 तक बड़े उद्योगों और सेवाओं से संबंधित ऋणों के संबंध में 5.52 लाख करोड़ रुपये की कुल राशि बट्टे खाते में डाली है।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि इसमें पांच साल की अवधि के दौरान सभी बैंकों द्वारा धोखाधड़ी के चलते बट्टे खाते में डाले गए 93,874 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। बीते साल के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) मार्च, 2022 को खत्म पिछले पांच वर्षों में बट्टे खातों से सिर्फ 14 प्रतिशत राशि ही वसूल पाए थे। इस दौरान कुल 7.34 लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले गए थे। इसमें से सरकारी बैंकों ने 1.03 लाख करोड़ रुपये की वसूली की थी।