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तिरंगे का मान

दिल्ली Published by: Balkrishan Bagora Updated Sat, 20 Aug 2016 01:14 PM
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बजार से सोना, चाँदी, कास्य क्रय कर सकते है,
मगर रियो-16 में जीतकर इन्हे जो प्राप्त कर सकते है।
अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, रूस सब धातु जीत गये,
भारतीय खिालाडी अपने हुनर से हार कर भी जीत गये।
हम निराश कभी होतेे नही, खेल के मैदान में,
रास्ता बना ही लेते सागर के तुफान में।
हमारे देश की बेटियांे ने तिंरगे का मना रखा,
कुश्ती के कौशल में, बैडबिंटन की कला में,
साक्षी-सिंधु ने पदक भारत की झोली में रखा।
अभी आशा है, आगे और तम्गे जितेगें,
खेल भावना से हर खिलाडी पीछे नही हटेगें।
तिरंगा ऊँचा रहे, यह सबको भान है,
खेल-खेल है, इसे सहजता से खेलना ही हमारी शान है।
जब दो खेलते है तो एक की जय दुजे की पराजय होती है,
जब विश्वास की कश्ती चलती ‘‘जलेन्द्र’’ झंझावतों को पीछेे छोड देती है।

--प्रेषक--
बालकृष्ण खेमराज जी बागोरा (ग्राम. आमेट ) ‘‘जलेन्द्र’’
पालीवाल वाणी-संस्थापक, इंदौर
07389264545
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