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पत्रकारो के साथ बदसुलूकी करने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज होगी

दिल्ली Published by: Ayush Paliwal Updated Sun, 17 Jul 2016 01:46 PM
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दिल्ली| प्रेस काउंसिल ने राज्य सरकारों को चेताया कि अब पत्रकार नही है भीड़ का हिस्सा से पत्रकारों के साथ बढ़ती ज्यादती और पुलिस के अनुचित व्यवहार के चलते कई बार पत्रकार आजादी के साथ अपना काम नही कर पाते है उसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष श्री मार्कण्डेय काटजू ने राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए निर्देश भी दिया है कि पुलिस आदि पत्रकारों के साथ बदसलूकी ना करे...।पत्रकारो के साथ बदसुलूकी करने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज होगी -नही तो एसएसपी पर होगी सीधी कार्यवाही

पत्रकार भीड़ का हिस्सा नही

किसी स्थान पर हिंसा या बवाल होने की स्थिति में पत्रकारों को उनके काम करने में पुलिस व्यवधान नही पहुँचा सकती। पुलिस जैसे भीड़ को हटाती है वैसा व्यवहार पत्रकारों के साथ नही कर सकती। ऐसा होने की स्थिति में बदसलूकी करने वाले पुलिसवालों या अधिकारियों के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया जायेगा...। श्री काटजू ने कहाँ कि जिस तरह कोर्ट में एक अधिवक्ता अपने मुवक्किल का हत्या का केस लड़ता है पर वह हत्यारा नही हो जाता है। उसी प्रकार किसी सावर्जनिक स्थान पर पत्रकार अपना काम करते है पर वे भीड़ का हिस्सा नही होते। इस लिए पत्रकारों को उनके काम से रोकना मिडिया की स्वतंत्रता का हनन करना है !

सभी राज्यों को दिए निर्देश - "पत्रकारो के साथ बदसुलूकी करने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज होगी -नही तो एसएसपी पर होगी सीधी कार्यवाही"

प्रेस काउन्सिल ने देश के केबिनेट सचिव, गृह सचिव, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिवों व गृह सचिवों को इस सम्बन्ध में निर्देश भेजा है...और उसमे स्पष्ट कहा है कि पत्रकारों के साथ पुलिस या अर्द्ध सैनिक बलों की हिंसा बर्दाश्त नही की जायेगी...। सरकारे ये सुनिश्चित करे की पत्रकारों के साथ ऐसी कोई कार्यवाही कही न हो। पुलिस की पत्रकारों के साथ की गयी हिंसा मिडिया की स्वतन्त्रता के अधिकार का हनन माना जायेगा। जो उसे संविधान की धारा 19 एक ए में दी गयी है। और इस संविधान की धारा के तहत बदसलूकी करने वाले पुलिसकर्मी या अधिकारी पर आपराधिक मामला दर्ज होगा।

समाज में मीडिया के साथ बदसुलुकी जारी...

पालीवाल वाणी के संपादक श्री सुनील पालीवाल ने भी श्री काटजु से मांग की है कि जिस प्रकार राज्य सरकारों को निर्देश देकर पत्रकारों के हित मंे काम किया है उसी प्रकार एक ओर आदेश जारी करें कि मीडिया समाज का आईना होता है। उसे किसी भी समाज में किसी भी साधारण सभा अथवा मीटिंग में रोका नहीं जाएगा। क्योंकि अक्सर सुनने में आता है कि सामाजिक अखबार के मालिक को सच लिखने के बाद उसे अकारण मानहानि जैसे मामलों से फंसाया जाता है। वास्तविक घटनाक्रम को भी समाज के पदाधिकारी मनमानी कर समाज को घुमरा कर छोटे से छोटे पत्रकार को पत्रकारिता करने से रोका जा रहा है जो समाजहित में उचित नहीं है।

एक मेरे साथ भी हुआ हादसा...

पालीवाल वाणी के संपादक श्री सुनील पालीवाल ने कहा है कि पालीवाल समाज 44 श्रेणी इंदौर मंे चल रही धाधंली को उजागार करने की कोशिश की तो समाज मंत्री ने दबाव बनाने के लिए अकारण आरोप लगाकर निजि मानहानि का प्रकरण दर्ज करा दिया। जिससे पत्रकारों को सच लिखना और भी गलत हो रहा है। पालीवाल समाज 44 श्रेणी इंदौर, मध्यप्रदेश की साधारण सभा एवं जनरल मीटिंग में आने से पत्रकारों को प्रतिबंधित कर दिया हैं। जिसकी उच्चस्तर से निंदा भी हुई लेकिन इनकी मानमानी भारी पैमाने पर भी अभी भी चल रही है। जो समाजहित में उचित नहीं है। साधारण सभा का हवाला दिया जाता है जबकि समाज के 1150 से अधिक सदस्य होने के बाद भी उन्हें सूचना सही समय पर नहीं दी जाती है। जिसके कारण कभी-कभी साधारण सभा में मात्र 100 से लेकर 200 सदस्यों की संख्या ही नजर आती है। जब इस संबंध में पत्रकार जिम्मेदार लोगों से बात करता है तो उन्हें साफ मना कर देते है कि आप हमारे हिस्सा नहीं है। इसलिए पत्रकारों को उनके काम से रोकना मिडिया की स्वतंत्रता का हनन करना है !

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