इंदौर. पुलिस द्वारा बार-बार सायबर ठगी से बचने के लिए गाइडलाइन जारी की जाती है. इसके बाद भी लोग सायबर फ्रॉड के शिकार हो रहे हैं. आजकल सायबर फ्रॉड के नए तरीके चल रहे हैं. इंदौर के डॉक्टर दंपती ने इंदौर क्राइम ब्रांच में शिकायत की है कि उन्हें 53 घंटे तक डिजिटल हाउस अरेस्ट कर बंधक बनाया गया. इस दौरान धोखाधड़ी की वारदात की गई. पुलिस ने जांच शुरू कर दी है.
इंदौर क्राइम ब्रांच में डिजिटल हाउस अरेस्टिंग ठगी का एक मामला सामने आया है, जहां राऊ इलाके में रहने वाले एक डॉक्टर दंपति को रविवार 7 अप्रैल 2024 दोपहर को एक मुंबई के नंबर से कॉल आया. कॉल पर डाक्टर दंपति को बताया कि थाईलैंड में फाइनेंस इंटरनेशनल करियर सर्विस जो पार्सल आपके द्वारा भेजा गया था, उसमें एमडीएम ड्रग्स मौजूद है और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी मिले हैं, जिसमें ह्यूमन ट्रैफिकिंग, छोटे बच्चों के ऑर्गन तस्करी जैसे गंभीर अपराधों में आपको फंसाया जा रहा है.
इंदौर क्राइम ब्रांच के डीसीपी राजेश दंडोतिया के पास एक डॉक्टर दंपती पहुंचे. उन्होंने बताया कि उनके साथ ₹9 लाख ऑनलाइन धोखाधड़ी की गई है. शिकायत के अनुसार सायबर जालसाजों ने डॉक्टर दंपती को ऑनलाइन वीडियो कॉल किया. इस दौरान ठगों ने दंपती को ड्रग्स, मानव तस्करी से संबंधित विभिन्न तरह की तस्करी से जुड़े होने बात कही. डॉक्टर दंपती को जालसाजों ने खुद को जांच एजेंसियों का फर्जी अफसर बनकर धमकाया. ठगों ने खुद को सीबीआई, आरबीआई, कस्टम, साइबर क्राइम के फर्जी अफसर बनाकर अपने खातों में राशि ट्रांसफर करवा ली.
ठगी होने के बाद डॉक्टर दंपती को धोखाधड़ी का अहसास हुआ तो शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंचे. दंपती का कहना है कि जालसाजों ने उन्हें धमकाया और डराया. इस कारण उन्होंने 9 लाख रुपए ऑनलाइन उनके खाते में ट्रांसफर कर दिए. रुपये नहीं देने पर जालसाज उन्हें गिरफ्तार करने के साथ ही उनके बच्चों के खिलाफ भी केस बनाने की धमकी दे रहे थे. दंपती ने बताया कि वे लोग इतने भयभीत हो गए कि सोचने-समझने का वक्त ही नहीं मिला.
कानूनी तौर पर डिजिटल अरेस्ट नाम का कोई शब्द नहीं है. यह एक फ्रॉड करने का तरीका है,जो साइबर ठग अपनाते हैं. इसका सीधा मतलब होता है, ब्लैकमेलिंग, जिसके जरिए ठग अपने टारगेट को ब्लैकमेल करता है. डिजिटल अरेस्ट में कोई आपको वीडियो कॉलिंग के जरिए घर में बंधक बना लेता है. वह आप पर हर वक्त नजर रख रहा होता है. डिजिटल अरेस्ट के मामलों में ठग कोई सरकारी एजेंसी के अफसर या पुलिस अफसर बनकर आपको वीडियो कॉल करते हैं.
इसके बाद ठग आपको कहते हैं कि आपका आधार कार्ड सिम कार्ड या बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किसी गैरकानूनी गतिविधि के लिए हुआ. वह आपको फर्जी गिरफ्तारी का डर दिखाकर घर में ही कैद कर देते हैं. इसके बाद वह झूठे आरोप लगाते हैं और जमानत की बातें कह कर पैसे ऐंठ लेते हैं. अपराधी इस दौरान आपको वीडियो कॉल से हटने भी नहीं देते हैं और ना ही किसी को कॉल करने देते हैं. डिजिटल अरेस्ट के इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं.