1. मुरैना ज़िले के दिमनी सीट से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को टिकट मिला है। दिमनी भाजपा 2013 से हार रही है।
सीट पर कांग्रेस और बीएसपी का अच्छा दबदबा है और पिछला चुनाव BJP 18,477 वोटों से हारी थी।
2. दूसरी सीट है मंडला ज़िले की निवास विधानसभा।
भाजपा ने केंद्रीय मंत्री और आदिवासियों के बड़े नेता फग्गन सिंह कुलस्ते को इस सीट से उतारा गया है।
2018 में पार्टी ने कुलस्ते के छोटे भाई रामप्यारे कुलस्ते को टिकट दिया गया था जो 28,315 वोट से हारे थे।
3. जबलपुर से चार बार के सांसद और पुर्व भाजपा अध्यक्ष [एमपी], राकेश सिंह को जबलपुर पश्चिम से उतारा गया है।
यह सीट भाजपा 2013 से हार रही है और 2018 चुनाव 18,663 वोटो से हारी थी।
4. गाडरवारा सीट से होशंगाबाद के सांसद उदय प्रताप सिंह को टिकट मिला है। वह पहली बार सांसद कांग्रेस से 2009 में बने थे उसके बाद से वो भाजपा में चले गए और 2014 और 2019 जीता।
2018 चुनाव भाजपा 15,363 वोटों से हारी थी।
5. इंदौर - 1 से पार्टी ने कैलाश विजयवर्गीय को उतारा है। यह भाजपा की ही सीट मानी जाती है।
2018 में कांग्रेस ने यह सीट इंदौर के पुर्व भाजपा नेता के बेटे संजय शुक्ला को उतार कर 8,163 वोटो से जीता था।
6. सतना से पार्टी ने गणेश सिंह को उतारा है। यह सीट पार्टी ने 2018 में 12,558 वोटों से हारा था।
8 में से दो, नरसिंहपुर और सीधी पहले से भाजपा जीती हुई है। पर सीधी में सीटिंग MLA केदारनाथ शुक्ला के विद्रोह के बाद वहां भी लड़ाई मुश्किल हो गई है।
अगर इन सीटों पर पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया तो इसका असर 2024 के चुनावों पर पड़ेगा। एक संसदीय क्षेत्र में लगभग 6-8 विधान सभा सीटें आती है। मीडिया और जनता तो यही बोलेगी, जो एक विधानसभा नहीं जीत पाया वो सांसद का चुनाव क्या जीतेगा ?!