भोपाल. मध्य प्रदेश में बोरवेल को खुला छोड़ने वालों की अब खैर नहीं है। प्रदेश की मोहन यादव सरकार पानी निकलने वाले बोरवेल को खुला छोड़ने वालों के लिए कठोर कानून बनाने जा रही है। इस कानून का प्रस्ताव विधानसभा के मानसून सत्र में पेश करने की तैयारी की जा रही है।
इसमें बोरवेल को खुला छोड़ने पर जमीन के मालिक पर जनहानि की स्थिति में आपराधिक मामले दर्ज करने और जुर्माना लगाने का प्रावधान होगा। लगातार खुले बोरवेल में बच्चों के गिरने की घटनाओं को देखते हुए मोहन यादव सरकार यह फैसला लेने जा रही है।
जानकारी के अनुसार, इसको लेकर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने विधेयक का प्रारूप तैयार कर लिया है। इसके तहत बोरवेल खुला छोड़ने पर जमीन के मालिक पर अर्थदंड लगाने के साथ आपराधिक मामले दर्ज किया जाएगा।
इसके अलावा अगर बोरिंग करने वाली एजेंसी अगर बोरवेल असफल होने पर उसे बंद नहीं करती है तो उस एंजसी के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस विधेयक के जरिए सरकार ये साफ कह रही है कि असफल बोरवेल को बंद करना अनिवार्य है। बताया जा रहा है कि इस विधेयक को वरिष्ठ सचिव समिति की स्वीकृति मिलने के बाद कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा।
बता दें कि प्रदेश में बोरवेल की वजह से कई बच्चों के गिरने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। 6 जून 2023 को 3 साल की बच्ची सीहोर जिले के बोरवेल में गिर गई। 50 घंटे की रेस्क्यू के बाद उसे बाहर निकल गया लेकिन मौत हो गई। इसके बाद 12 जून को एमपी हाई कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया।
18 जून 2023 को विदिशा में ढाई साल की बच्ची 25 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई। बाहर निकलने पर मौत हो गई। इसके अलावा 5 दिसंबर 2023 को 5 साल की बच्ची राजगढ़ जिले स्थित एक गांव में बोरवेल में गिर गई। 9 घंटे बाद बाहर आने के बाद भी बच नहीं सकी।
अलीराजपुर जिले के एक बोरवेल में 12 दिसंबर 2023 को 5 साल का बच्चा गिर गया था। बच्चे को बाहर तो निकल लिया गया, लेकिन वह बच नहीं पाया। पिछले महीने भी 14 अप्रैल 2024 को रीवा में 6 साल का मयंक खुले बोरवेल में गिर गया, जिसे 2 दिन की कड़ी मश्कत के बाद बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक मंयक ने दम तोड़ दिया था।