भारत में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित राज्य है, यदि आर्टिकल 343 की माने तो यहाँ 22 भाषाऐ है, इसके अलावा भी कई अन्य भाषाए है. इतने राज्य और इतनी भाषा के होते हुए भी संकट के समय सब जाती धर्म भूलकर अपने आपको को भारत का एक सच्चा नागरिक मान कर कंधे से कंधा मिलाते हुए एक दूसरे का साथ देते हैं. विविधता में एकता ही भारतीय संस्कृति को अन्य संस्कृति से श्रेष्ठ बनाती हैं.
संहिता ग्रंथों में राष्ट्र की कुंडली पर विचार किया जाता है, इसमे चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, राजा की कुंडली और देश की कुंडली पर विचार किया जाता हैं.स्वतंत्र भारत की स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, विश्वपटल पर कैसी रहेगी भारत की छवि, देखे क्या कहते है भारत के सितारे ?
स्वतंत्र भारत की कुंडली पर विचार करें तो वृषभ लग्न कर्क राशि तथा पुष्य नक्षत्र में भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की, ग्रहों की चाल बड़ी निराली हैं,
दिनांक 15 अगस्त 2022 को स्वतंत्रता के 75 वीं वसंत पूर्ण होकर 76 वा वर्ष प्रारंभ होगा, वर्ष कुंडली की चर्चा करे तो कर्क लग्न में वर्ष प्रवेश होगा. कर्क लग्न शाही लग्न होता है, लग्न किसी भी देश की एकता और अखंडता को दर्शाता है, लग्न में सूर्य तथा शुक्र की युति है, चंद्र की राशि में सूर्य का होना जनता को वोट बैंक की तरह उपयोग करने की चाह में राजनैतिक पार्टी सांप्रदायिकता को हवा दे सकती है,
सूर्य शनि का सम सप्तक योग, शनि सप्तम तथा अष्टम भाव का स्वामी भी है, सप्तम भाव पड़ोसी देशों से संबंध की स्थिति को भी दर्शाता है, इस ग्रह योग के चलते पड़ोसी देश भारत को नुकसान पहुचाने का प्रयास कर सकते है? लग्न का स्वामी चंद्रमा, गुरु के साथ भाग्य स्थान में शुभ स्थिति में है, भाग्य भाव को धर्म भाव भी कहा जाता है, जनता के मध्य धार्मिक कट्टरता बढ़ सकती है, वर्ष लग्नेश का भाग्य स्थान में जाने से तकनीकी क्षेत्र में भारत का परचम विश्व के भूगोल पर छा सकता हैं.
गुरु की पंचम दृष्टि लग्न पर पड़ रही है, केंद्र सरकार, केन्द्रीय नेतृत्व के चलते योजनाए जनता तक पहुच सकती हैं. सप्तम स्थान में शनि पंच महापुरुष का शश नामक राजयोग का निर्माण कर रहा है, सप्तम स्थान पड़ोसी मुल्क तथा विदेश नीति का भी होता है, शनि की सप्तम स्थान में स्थित होने से भारत की विदेश नीति एक प्रभावी नीति के रूप में जानी जा सकती है, भारत के विदेशी राष्ट्रों से संबंध का फायदा प्राप्त हो सकता है. अमेरिका, ब्रिटेन तथा जर्मनी भारत के शुभ चिंतकों की सूची में शामिल हो सकते है? छठा स्थान रोग का होता है, वर्ष कुंडली में छठे भाव का स्वामी गुरु वक्री होकर मीन राशि में स्थित है, अष्टमेश शनि भी वक्री होकार सप्तम भाव में स्थित है, यह संक्रामक बीमारी पुनः परेशानी का कारण बन सकती है, अक्टोबर से मार्च के मध्य महामारी का प्रभाव हो सकता हैं. क्रय शक्ति के मामले में भारत दुनिया कि चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, द्वितीय भाव कोश का होता है, तथा एकादश भाव आर्थिक सुदृढ़ता का होता हैं. द्वितीय तथा एकादश भाव के स्वामी, क्रमशः सूर्य तथा शुक्र दोनों युति निर्मित कर के लग्न में स्थित है, पूरा विश्व आर्थिक मद्दी को लेकर चिंतित है, ऐसी स्थिति में सूर्य शुक्र, रोजगार की संख्या में इजाफा कर सकती है, लेकिन अष्टमेश शनि की दृष्टि लग्न पर भारत के लिए कमजोर अर्थव्यवस्था की और इशारा कर रही हैं.
शनि महगाई का ग्राफ बड़ा सकता है ? चतुर्थ स्थान जनता तथा पंचम स्थान जनता के सुख का होता है, चतुर्थ स्थान में केतु की स्थिति जनता के कष्ट की स्थिति को दर्शा रही हैं. जनता दबी जुबान में अपनी असंतुष्टता जाहिर कर सकती हैं. पंचम स्थान पर मंगल की पूर्ण दृष्टि, जनता पर महंगाई की मार और असंतोष बढ़ सकता हैं. वर्ष कुंडली में गुरु तथा शनि दोनों ही वक्री है, यह राजनेताओ के नैतिक और चारित्रिक पतन को दर्शाता हैं. तृतीय भाव संचार तथा पत्रकारिता का भी होता है. वर्ष कुंडली में बूध इस भाव का स्वामी होकर, तृतीय भाव से द्वादश में स्थित है, यह स्थिति पत्रकारिता के लिए कठिन समय दर्शा रही है, पत्रकार सत्ता पक्ष के प्रतिनिधि के रूप में जाने जा सकते हैं.
वर्तमान में स्वतंत्र भारत की कुंडली में चंद्रमा की महादशा चल रही है, चंद्रमा पराक्रम भाव का स्वामी है, यह समय देश निर्माण का समय है, भारत के लिए चंद्रमा की दशा एक चुनोतीयो वाली दशा साबित हो सकती है, लेकिन चंद्रमा एक नीव संरचना का कार्य भी करेंगे, कष्ट जरूर रहेंगे लेकिन यह कष्ट एक अच्छे भविष्य की और ले जा सकते हैं..
दिसंबर से अप्रैल 2023 तक का समय देश के कुछ राज्यों के लिए कष्टदायक सिद्ध हो सकता है, इसी दरमियान कुछ जनहानी, भयंकर अग्निकांड, रेल दुर्घटना के योग निर्मित हो सकते हैं.
रोजगार : रोजगार के लिहाज से भारत को चंद्र में बुध की अंतर्दशा चल रही है, बुध द्वितीय तथा पंचम स्थान का स्वामी है, तथा चंद्रमा तृतीय भाव का स्वामी है, यह समय अभी निर्माण का समय है, जनता के मध्य बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या के रूप में दिखाई देगी, मकर राशि में वक्री शनि, जनता के कष्टों को बड़ा सकता हैं.
केंद्र सरकार : लग्न केन्द्रीय नेतृत्व को दर्शाता है, वर्ष कुंडली में शाही लग्न कर्क, उसका स्वामी चंद्रमा, गुरु के साथ भाग्य भाव में, तथा भागयेश गुरु की लग्न पर पूर्ण दृष्टि, केंद्र सरकार की चमक, केन्द्रीय नेतृत्व (प्रधानमंत्री) की पकड़ के दायरों को बड़ा सकता हैं. लेकिन सूर्य शुक्र की लग्न में युति, केंद्र सरकार और जनता के मध्य दूरी को बड़ा सकता हैं साथ ही सहयोगी दल का केंद्र सरकार से विघटन असंतोष बढ़ सकता हैं.
राजनेता : गुरु और शनि के वक्री होने से, तथा वर्ष कुंडली में दशम भाव में राहु की स्थिति, राजनेता की कथनी करनी को लेकर अंतर बड़ा सकते है, राजनेताओ का मुख्य उद्देश जनसेवा न होते हुए अपनी कुर्सी बचाना और सत्ता में रहना हो सकता है, कैसे भी दल अपनी सरकार बचाने का प्रयास कर सकते हैं.
खेल : पंचम स्थान खेल का होता है, वर्ष कुंडली में मंगल की पंचम भाव पर पूर्ण दृष्टि, खेल के लिहाज से देश को चमत्कारी सफलता प्रदान करवा सकता है, भारत के खिलाड़ी अपनी विजय पताका फहरा सकते हैं. खेल के प्रति आम जनता का रुझान बढ़ सकता हैं.
सिनेमा : शुक्र सिनेमा जगत का प्रतिनिधित्व करता हैं. वर्ष कुंडली में लग्न में शुक्र की स्थिति, अर्थ की दृष्टि से सिनेमा जगत को फायदा जरूर प्राप्त हो सकता है, लेकिन शुक्र सूर्य की युति सिनेमा के स्तर पर प्रश्न चिन्ह लगा सकती हैं.
नरेंद्र मोदीजी : मोदीजी के लिए मंगल पंच महापुरुष का राजयोग निर्मित कर रहा है, अप्रैल 2022 से मंगल में राहू का अंतर प्रारंभ हो चुका है, पंचम भाव का मंगल जनता में पैठ बड़ा सकता है, राजयोगकारी मंगल उनके लिए विशेष उपलब्धि दायक सिद्ध हो रहा है, हालांकि यह वर्ष मंगल स्वास्थ्य तथा सुरक्षा के लिहाज से कमजोर साबित हो सकता हैं.
विपक्ष : वर्तमान में नरेंद्र मोदी की छवि के आगे विपक्ष की स्थिति कमजोर सी दिखाई दे रही है, कर्क लग्न के राहुल गांधी के लिए वर्ष कुंडली उम्मीदों भरी है, उनकी छवि में कुछ सुधार हो सकता है? उनके लिए यह वर्ष मध्यम है, हालाकी मीन लग्न की कांग्रेस पार्टी के लिए यह समय चुनौतियों भरा हैं. अभी परिवर्तन और शुद्धिकरण बाकी हैं.
आचार्य पण्डित रामचंद्र शर्मा “वैदिक“ अध्यक्ष मध्य प्रदेश ज्योतिष एवं विद्वत परिषद