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काल भैरव जयंती विशेष : कब है काल भैरव जयंती?, जानें तिथि, महत्व, कैसे प्रकट हुआ भगवान शिव का ये रौद्र रूप, काल भैरव कथा

ज्योतिषी Published by: Pushplata Updated Fri, 01 Dec 2023 06:20 PM
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Kaal Bhairav Jayanti 2023: हिंदू धर्म में काल भैरव जयंती का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, काल भैरव भगवान शिव का रौद्र रूप है। इसलिए इनकी पूजा करने से व्यक्ति को हर दुख से छुटकारा मिल जाता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही काल का भय भी समाप्त हो जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। इसे कालाष्टमी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन काल भैरव का जन्म हुआ था। इसी के कारण इसे काल भैरव जयंती कहा जाता है। काल भैरव जयंती मंगलवार या रविवार के दिन मनाई जाती है, क्योंकि यह दिन इन्हीं को समर्पित होते हैं। काल भैरव जयंती को महाकाल भैरव जयंती या काल भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। जानें इस साल कब है काल भैरव जयंती, शुभ मुहूर्त और महत्व।

कब है काल भैरव जयंती? (Kaal Bhairav Jayanti 2023 Date)

हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 4 दिसंबर को रात 9 बजकर 59 मिनट से शुरू हो रहा है, जो 6 दिसंबर को सुबह 12 बजकर 37 मिनट पर समाप्त है। ऐसे में काल भैरव जयंती 5 दिसंबर 2023 को मनाया जाएगा।

काल भैरव जयंती 2023 महत्व 

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, काल भैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना जाता है। इसलिए इनकी जयंती के दिन विधिवत पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में खुशियां ही खुशियां बनी रहती हैं। इसके साथ ही हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। माना जाता है कि अगर जातक के ऊपर काल भैरव जी प्रसन्न हो जाएंगे, तो वह नकारात्मक शक्तियों के अलावा ऊपर बाधा और भूत-प्रेत की जैसी समस्याएं नहीं होती है।

कैसे हुए काल भैरव प्रकट?

कालभैरव जयंती का दिन काल भैरव के साथ भगवान शिव की आराधना करने का विशेष महत्व है। हिंदू कथाओं के अनुसार, जब भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश में इस बात में बहस छिड़ गई थी कि सबसे श्रेष्ठ कौन है, तो ऐसे में ब्रह्मा जी ने भगवान शिव को कुछ अपशब्द कह दिए थे, जिससे वह अधिक क्रोधित हो गए है। इके बाद भगवान शिव के माथे से भैरव प्रकट हुए। उनका रौद्र रूप देखकर हर कोई डर गया और इसी समय उन्होंने भगवान ब्रह्मा का एक सिर काट दिया, जिससे उनके चार सिर हो गए। इसके बाद सभी देवी-देवताओं ने उन्हें शांत किया और वह पुन: शिव जी के स्वरूप में वापस आ गए। लेकिन उन्होंने ब्रह्म हत्या कर दी थी। ऐसे में उन्होंने इस पाप से मुक्ति पाने के लिए काशी की शरण ली और वहीं पर रहकर पापों से मुक्ति पाई।

भगवान भैरव को पापियों को दंड देने के लिए एक छड़ी पकड़े हुए और कुत्ते पर सवारी करते हुए देखा जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से अच्छा स्वास्थ्य और सफलता मिलती है। इसके साथ ही कुंडली से शनि और राहु दोष भी समाप्त हो जाता है।

काल भैरव बाबा को इस तरह करें प्रसन्न

  • काल भैरव का आशीर्वाद पाने के लिए शनिवार के दिन काले कुत्तों को रोटी खिलाएं। ऐसा करने से वह शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
  • काल भेरव की पूजा करने से जीवन में शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है और ऐसे लोग शत्रु रहित होते हैं।
  • यदि आप काल भैरव जयंती के दिन उनकी विशेष पूजा अर्चना करते हैं। तो बाबा भैरव नाथ आप पर कभी भी आंच नहीं आने देंगे।
  • काशी में तो बाब काल भैरव को कोतवाल कहा गया है। मान्यता है कि काशी में अगर आप आते हैं तो सबसे पहले बाबा भैरव नाथ के दर्शन कर उनसे काशी में रहने की और बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए अनुमती लेनी पड़ती है। जो भी काशी दर्शन करने जाते हैं पहले भैरव नाथ जी के दर्शन करते हैं। माना जाता है कि शिव की नगरी काशी की रक्षा करने के लिए बाबा भैरव नाथ पांच स्थानों पर तैनात रहते हैं। काशी में भैरव बाबा का एक भव्य मंदिर है। जहां सभी भक्त उनके दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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